मध्य प्रदेश में कांग्रेस के लिए कठिन होगा आगे का रास्ता
अंतत: 15 सालों बाद मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता में वापसी हो गई है. भाजपा के 15 सालों के शासन की कमियों को गिनाते हुए कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में कई ऐसे वादे किए थे जिनका भरोसा कर जनता ने कांग्रेस का साथ दिया है.
कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र को वचन पत्र का नाम दिया और वादा किया कि अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा. इसके साथ ही किसानों का बिजली बिल आधा कर दिया जाएगा.
कांग्रेस ने हर पंचायत में एक गोशाला बनाने, बेरोजगारों को 10 हजार रुपये प्रति महीने भत्ता देने सहित कई वादे किए थे. अब नई सरकार के सामने चुनौती है कि इन वादों को समय सीमा में पूरा करे.
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने मप्र में चुनाव प्रचार के दौरान वादा किया था कि कांग्रेस की सरकार बनने पर 10 दिनों के अंदर किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा.कांग्रेस के वचनपत्र के मुताबिक 2 लाख तक का कर्ज माफ करने का वचन दिया गया है.
सरकार की पहली परीक्षा इसी वादे को पूरा करने में है. अकेले इस वादे को पूरा करने के लिए सरकार को करीब 16 हजार करोड़ रु. की व्यवस्था करनी होगी. अभी प्रदेश का राजकोषीय घाटा 25 हजार 688 करोड़ रुपए है और प्रदेश सरकार पर कर्ज की राशि पौने दो लाख करोड़ हो गई है. ऐसे में तुरंत इस राशि का प्रबंध करना कांग्रेस सरकार के लिए परेशानी खड़ी करने वाला हो सकता है.
इसके अलावा दैनिक वेतन भोगी और सफाई कर्मचारियों को भी स्थाई करने, हर जिले के 10वीं में टॉप करने वाले को लैपटॉप देने, बेटियों के विवाह के लिए 51 हजार रुपये सरकार की तरफ से देने, सभी पंचायतों में एक गोशाला बनाने का वादा पूरा करने के लिए सरकार को अलग से बजट का इंतजाम करना होगा.
प्रदेश की अर्थव्यवस्था इन वादों को पूरा करने में नई सरकार के सामने चुनौती बन कर खड़ी है. राज्य के आर्थिक व सांख्यिकी विभाग के अनुसार राज्य सरकार पर मार्च 2018 तक 1 लाख 60 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का कर्ज है. नाजुक वित्तीय हालत के दौरान राज्य सरकार ने सिर्फ बाजार से ही 88 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया है.
बाजार से कर्ज उठाने पर राज्य सरकार को अन्य लोन के मुकाबले ज्यादा ब्याज देना होता है. वित्तीय वर्ष 2017-18 में राज्य सरकार ने कुल कर्ज के एवज में लगभग 12 हजार करोड़ रुपए ब्याज के रूप में चुकाए हैं, जो कुल बजट का लगभग 6 प्रतिशत है.
कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण के मुद्दे पर कर्मचारी शिवराज सरकार से नाराज रहे. वे भाजपा सरकार पर इस मामले को कोर्ट में उलझाने का आरोप लगाते रहे हैं. प्रमोशन में आरक्षण का मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में है, लेकिन नई सरकार को इस पर निर्णय लेना होगा.
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने वचन पत्र जारी करते हुए मंडी शुल्क को 1 फीसदी करने, सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि को भी 300 रुपये से बढ़ाकर एक हजार रुपये करने तथा बेरोजगारों को को 10 हजार रुपये प्रति महीना देने का वादा किया था. नई सरकार से जनता को उम्मीद है कि वह ये वादे जल्द पूरे करे.
ऐसे में कांग्रेस के सामने अपने चुनावी वादों को पूरा करना कठिन चुनौती साबित हो सकता है.