मध्य प्रदेश: लोकसभा चुनाव में क्या होगा हाल


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हाल ही में आए मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणामों ने को पंद्रह साल के बाद सत्ता से बेदखल कर दिया है.प्रदेश की 230 विधान सभा सीटों के चुनाव नतीजों को लोकसभा की 29 सीटों में तब्दील करके देखने पर, बहुत ही स्पष्टता के साथ यह आभास हो जाता है कि मई 2019 में होने वाले आम चुनाव में कांग्रेस की सीटों में भारी इजाफा होने वाला है. उसकी सीटें 3 से बढ़कर अधिकतम 18 तक हो सकती हैं, वहीं बीजेपी की सीटें 26 से घटकर 11 पर पहुंच सकती हैं.

मतों के सांख्यकीय आकलन के रुझानों को इस तरह से चार शीर्षकों में बांटा जा सकता है-

. कांग्रेस जिन सीटों पर जीतती दिख रही है – 13
. जिन सीटों पर कांग्रेस के जीतने की संभावना है- 05
. बीजेपी जिन सीटों पर जीतती दिख रही है – 04
. जिन सीटों पर बीजेपी के जीतने की संभावना है- 07

पहली श्रेणी में आने वाले लोकसभा क्षेत्र हैं- मुरैना, भिंड, ग्वालियर, गुना, रतलाम, धार, खरगौन, बैतूल, देवास, मंडला, शहडोल, राजगढ़ और छिंदवाड़ा. दूसरी श्रेणी में आने वाले लोकसभा क्षेत्र हैं- टीकमगढ़, दमोह, बालाघाट, जबलपुर और होशंगाबाद. बीजेपी की सुनिश्चित जीत की तरफ इशारा करने वाले श्रेणी के क्षेत्र हैं- सागर, मंदसौर, विदिशा और रीवा, जबकि जहां पर बीजेपी के जीतने की संभावना नज़र आती है, वे क्षेत्र हैं- खजुराहो, उज्जैन, इंदौर, खंडवा, सतना, भोपाल और सीधी.

दूसरी और चौथी श्रेणी में जो लोकसभा क्षेत्र दिखाए गए हैं, उनमें किसी बड़ी राजनीतिक घटना के कारण आखिरी वक़्त पर उलट-पुलट होने के भी आसार हैं. उलट-पुलट से तात्पर्य है कि कांग्रेस की संभावना वाले क्षेत्रों में से कुछ क्षेत्र बीजेपी के पाले में और बीजेपी की संभावना वाले कुछ क्षेत्र, कांग्रेस के पाले में जा सकते हैं.हालांकि विधान सभा में बसपा को केवल दो सीटें मिली हैं और सपा को केवल एक, लेकिन कांग्रेस के साथ गठबंधन हो जाने पर, यूपीए के पक्ष में न्यूनतम दो और सीटों का इजाफा हो सकता है.

अब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है, उसने किसानों के दो लाख तक कर्ज़ माफ कर दिए है. प्रशासनिक जमावट को बदल दिया है. निगमों, मंडलों और बोर्डों में लंबे समय से जमा 1100 भाजपाइयों को उनके पदों से हटा दिया गया है. बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के प्रति जन आक्रोश का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है. इन सबके चलते मौजूदा वोट शेयर में 2 से 3 प्रतिशत वोट के कांग्रेस के प़क्ष में जाने का अनुमान भी है. 2014 में ऐसा ही बीजेपी के पक्ष में हुआ था.

जरा विस्तार से इस आकलन को समझने के लिए, लोकसभावार प्राप्त मतों को देख लेना मुनासिब होगा. मुरैना लोकसभा क्षेत्र में आने वाले आठ विधानसभा क्षेत्र हैं- माधवपुर, सबलगढ़, जौरा, सुमावली, मुरैना, दिमनी और अंबाह. कांग्रेस के खाते में 8 में से 7 सीटें गई हैं, जबकि बीजेपी के खाते में सिर्फ़ एक, विजयपुर. इन सातों सीटों पर कांग्रेस को प्राप्त कुल मतों की संख्या है, 4,99,352 जबकि बीजेपी को प्राप्त कुल मतों की संख्या है, 3,76,310. इस तरह कांग्रेस को 1,23,042 मत अधिक मिले हैं. 2013 में कांग्रेस को 3,81,031 और बीजेपी को 4,08,951 वोट मिले थे. प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में बूथों की औसत संख्या 2400 है. इस तरह कांग्रेस को प्रति बूथ औसतन 208 मत हासिल हुए हैं, जबकि बीजेपी को मात्र 156. कांग्रेस को प्रति बूथ 52 मत अधिक मिले हैं. लिहाजा यह सीट कांग्रेस के पक्ष में जाती हुई दिखती है.

दूसरी लोकसभा सीट है, भिण्ड. इसमें भी 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. 6 सीटें कांग्रेस ने और दो सीटें बीजेपी ने जीती हैं। कांग्रेस को 3,84,341 और बीजेपी को 2,97,275 वोट मिले हैं। इस तरह कांग्रेस को 47,066 वोट ज्यादा मिले हैं। 2013 में कांग्रेस को 2,96,102 और बीजेपी को 3,38,850 वोट मिले थे. भिंड का परिणाम कांग्रेस के पक्ष में जाता नज़र आ रहा है. बसपा ने यहां पर कुल 1.60,780 मत पाकर अपनी ताकत दिखायी है. गठबंधन हो जाने पर यह अतिरिक्त लाभ भी यूपीए के पक्ष में जाएगा.

तीसरी लोकसभा सीट है ग्वालियर. यहां पर 8 में से 7 सीटें कांग्रेस ने जीती हैं और उसे कुल 5,58,580 मत प्राप्त हुए हैं, जबकि 1 सीट जीतने वाली बीजेपी को 4,24,712 मत मिले हैं और वह कांग्रेस की तुलना में 1,33,868 मतों से पीछे है. 2013 में कांग्रेस को 4,23,507 और बीजेपी को 4,21,799 वोट हासिल हुए थे. बसपा ने यहां पर 1,87,301 मत पाये हैं। कांग्रेस इस सीट को जीतती दिख रही है.

चौथी लोकसभा सीट गुना है. पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया यहां से सांसद हैं. कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में 8 में से 5 सीटें जीती हैं और बीजेपी ने 3. कांग्रेस को प्राप्त कुल मत 4,96,992 हैं और बीजेपी को प्राप्त कुल मत 5,13,621, इस तरह बीजेपी यहां पर कांग्रेस की तुलना में कम सीटें जीतकर भी 16,629 मतों से बीजेपी आगे है. 2013 में यहां पर कांग्रेस को 5,23,045 और बीजेपी को 4,80,930 मत मिले थे. सिंधिया के कारण यह सीट कांग्रेस के पक्ष में जाएगी.

पांचवीं लोकसभा सीट सागर बीजेपी के पक्ष में जाती दिख रही है. यहां पर उसने 8 में से 7 सीटें जीतकर कुल मत 5,53,569 पाये हैं, जबकि कांग्रेस ने 1 सीट जीत कर 4,76,206 मत ही हासिल किए हैं. इस तरह बीजेपी यहां पर कांग्रेस से 77,363 मत ज्यादा पाकर आगे हो गई है. 2013 में कांग्रेस को 4,44,714 और बीजेपी को 4,99,350 वोट मिले थे.
टीकमगढ़ छठवीं लोकसभा सीट है. यहां पर बीजेपी ने 8 में से 5 और कांग्रेस ने 3 विधानसभा सीटें जीती हैं. बीजेपी को मिले हैं 3,85,112 मत, और कांग्रेस को 3,75,785 मत मिले हैं यानी मात्र 9,327 मतों का ही अंतर है। यहां पर कांग्रेस की जीत की संभावना है. उसे प्रति बूथ केवल 4 मत ही और जोड़ने हैं। 2013 में कांग्रेस को 3,35,122 और बीजेपी को 4,15,535 वोट मिले थे.

दमोह लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली 8 विधान सीटों में से कांग्रेस और बीजेपी के पक्ष में 4-4 सीटें गई हैं. पर कांग्रेस को मिले 4,69,076 मतों के मुकाबले 31,321 मत ज्यादा लेकर बीजेपी ने 5,00,397 मत जोड़े हैं. यहां कांग्रेस की संभावना इसलिए बनती है क्योंकि उसे प्रति बूथ केवल 13 वोट ही अपने पक्ष में और बढ़ाने हैं. 2013 में यहां पर कांग्रेस को 4,47,820 और बीजेपी को 5,03,414 वोट मिले थे. बसपा को यहां पर 84,638 मत मिले हैं. यूपीए गठबंधन लाभकारी होगा.
खजुराहो लोकसभा क्षेत्र की 8 विधान सभा सीटों में से कांग्रेस ने केवल 2 और बीजेपी ने 6 सीटें जीती हैं. बीजेपी को 4,47,720 और कांग्रेस को 5,27,272 वोट मिले हैं. इस तरह कांग्रेस 88176 वोटों से पीछे है. यहां पर बीजेपी की जीत की संभावना है. 2013 में कांग्रेस को 3,63,102 और बीजेपी को 4,77,697 वोट मिले थे.

उज्जैन लोकसभा क्षेत्र की 8 विधान सभा सीटों में से कांग्रेस के खाते में 5 और बीजेपी के खाते में 3 सीटें गई हैं. कांग्रेस को यहां पर 5,24,106 और बीजेपी को 5,85,028 वोट मिले हैं. बीजेपी को कांग्रेस से 60,922 ज्यादा मत मिले हैं. इस तरह यहां भी बीजेपी के लिए संभावना अधिक है. 2013 में कांग्रेस को 4,40,195 और बीजेपी को 5,66,067 वोट मिले थे.

मंदसौर लोकसभा क्षेत्र में भी 8 विधान सभा सीटें हैं. बीजेपी ने 6 सीटें जीतकर कुल मत 6,39,268 हासिल किए हैं और कांग्रेस 5,36,612 मत पाकर उससे 1,02,656 मतों से पीछे हो गई है. यहां पर बीजेपी की जीत दिखायी पड़ रही है. बता दें कि किसान आंदोलन के समय यहीं पर गोली चालन हुआ था और कुछ किसान मारे गए थे. 2013 में यहां पर बीजेपी को 6,15,731 और कांग्रेस को 4,87,038 वोट मिले थे.

रतलाम लोकसभा सीट से वर्तमान में कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया सांसद हैं. 2014 में वे बीजेपी से हार गए थे. इसे उन्होंने उपचुनाव में दोबारा हासिल किया है. इस सीट पर वे लगातार 5 बार सांसद रहे हैं. विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने 5 और बीजेपी ने 3 सीटें पाई हैं. कांग्रेस को कुल 5,69,739 और बीजेपी को 5,40,549 मत मिले हैं. कांग्रेस को 29,190 मतों की बढ़त हासिल है. यह सीट कांग्रेस के खते में जाती दिख रही है. 2013 में कांग्रेस को 3,80,380 और बीजेपी को 5,03,027 वोट मिले थे.

धार लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने विधान सभा की 6 सीटें और बीजेपी ने 2 सीटें जीती हैं. कांग्रेस को 7,13,206 और बीजेपी को 5,01,414 वोट मिले हैं. कांग्रेस को 2,11,792 वोटों से बढ़त हासिल है. यह सीट कांग्रेस के पक्ष में जा रही है. 2013 में बीजेपी को 5,30,568 और कांग्रेस को 5,45,384 वोट प्राप्त हुए थे.

इंदौर लोकसभा क्षेत्र, लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन का क्षेत्र है वे यहां से लगातार 7 बार जीती हैं. विधान सभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी दोनों को 4-4 सीटें मिली हैं. बीजेपी को 814334 और कांग्रेस को 7,19,204 मत मिले हैं. बीजेपी 95130 मतों से आगे है. यह सीट बीजेपी के पक्ष में संभावना बनाती है. 2013 में यहां पर बीजेपी को 7,53,552 और कांग्रेस को 5,12,198 वोट हासिल हुए थे.

खरगौन लोकसभा क्षेत्र में विधान सभा की 8 में से 6 कांग्रेस ने और 2 बीजेपी ने जीती हैं. कांग्रेस को 5,86,430 और बीजेपी को 5,91,508 मत मिले हैं. बीजेपी को 5078 मत अधिक मिले हैं. चूंकि उसे प्रति बूथ केवल 2 मत ही कम मिले हैं और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव यहां से उम्मीदवार हो सकते हैं, इसलिए यह सीट कांग्रेस जीत सकती है. 2013 में बीजेपी को 5,87,155 और कांग्रेस को 5,77,823 वोट मिले थे.

खंडवा लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली 8 विधान सभा सीटों में से कांग्रेस और बीजेपी ने 4-4 सीटें जीती हैं. बीजेपी को 6,34,186 और कांग्रेस को 5,63,436 मत मिले हैं। बीजेपी को 70750 मतों की बढ़त हासिल हुई है. बीजेपी के लिए यहां संभावना नज़र आ रही है. 2013 में बीजेपी को 6,60,624 और कांग्रेस को 5,31,387 वोट मिले थे.

बैतूल लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने 5 और बीजेपी ने 3 विधान सभा सीटें जीती हैं. कांग्रेस को 6,29,443 और बीजेपी को 5,67,515 वोट मिले हैं. कांग्रेस को 61,928 वोटों की बढ़त मिली है. अनुमानतः कांग्रेस के पक्ष में यह सीट जाती दिख रही है.

विदिशा लोकसभा क्षेत्र विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का क्षेत्र है. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का भी यहां प्रभाव है. वे यहां से बीजेपी के अगले उम्मीदवार हो सकते हैं, हालांकि उन्होंने केंद्र में जाने में अरुचि प्रकट की है. बीजेपी ने यहां से विधान सभा की 6, जिसमें शिवराज सिंह की बुधनी सीट भी शामिल है, जीती हैं. जबकि कांग्रेस ने केवल 2 सीटें ही जीती हैं. बीजेपी ने 6,51,397 और कांग्रेस ने 4,20,542 मत पाए हैं. यह सीट बीजेपी के खाते में जाती दिख रही है. 2013 में बीजेपी को 13,07,400 और कांग्रेस को 4,78,552 वोट मिले थे.

देवास लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस और बीजेपी को विधान सभा में 4-4 सीटें मिली हैं. कांग्रेस को 6,51,950 और बीजेपी को 6,17,878 मत मिले हैं. कांग्रेस को 34,072 वोटों की बढ़त है. यह सीट कांग्रेस के पक्ष में जाती नज़र आती है. 2013 में बीजेपी को 6,18,984 और कांग्रेस को 5,06,280 वोट मिले थे.

मंडला लोकसभा क्षेत्र (अ.ज.जा.) से बीजेपी के केंद्रीय मंत्री फग्गनसिंह कुलस्ते सांसद हैं. विधान सभा में यहां से उनके भाई चुनाव में खेत रहे हैं. कांग्रेस ने 6 और बीजेपी ने 2 सीटें जीती हैं. कांग्रेस को 6,59,399 और बीजेपी को 5,37,657 वोट मिले हैं. कांग्रेस 1,21,742 वोटों से आगे है. सीट कांग्रेस के पास वापस जाती दिख रही है. 2013 में बीजेपी को 5,63,040 और कांग्रेस को 5,08,758 वोट मिले थे.

बालाघाट लोकसभा क्षेत्र में विधान सभा की कुल 7 सीटें हैं. कांग्रेस-बीजेपी ने 3-3 और 1 सीट निर्दलीय ने जीती है. निर्दलीय भी कांग्रेस के ही जिला कांग्रेस अध्यक्ष रहे हैं और अब पुनः कांग्रेस के साथ हो गए हैं. उनके मत भी कांग्रेस में मिला देने पर कांग्रेस को 5,53,118 और बीजेपी को 5,53,157 मत मिले हैं. बीजेपी को मामूली बढ़त हासिल हुई है, परंतु यहां पर मुख्यमंत्री कमलनाथ का खासा प्रभाव होने के चलते यह सीट कांग्रेस के पक्ष में जाती नज़र आ रही है. 2013 में बीजेपी को 4,61,389 और कांग्रेस को 4,63,424 वोट मिले थे.

सतना लोकसभा क्षेत्र में विधान सभा चुनाव में बीजेपी ने यहां से 7 में से 5 और कांग्रेस ने 2 सीटें जीती हैं. कांग्रेस को 3,81,533 और बीजेपी को 3,99,170 मत मिले हैं. बावजूद इसके बीजेपी की बढ़त केवल 17,637 मतों की है. विंध्य में लोकप्रियता को देखते हुए बीजेपी की संभावना नज़र आती है. 2013 में बीजेपी को 3,25,170 और कांग्रेस को 3,09,267 वोट मिले थे.

जबलपुर लोकसभा क्षेत्र पिछले अनेक वर्षों से बीजेपी के गढ़ के रूप में जाना जाने लगा है. बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह यहीं से सांसद हैं. विधान सभा चुनाव में कांग्रेस-बीजेपी को 4-4 सीटें हासिल हुई हैं. बीजेपी को 5,63,448 और कांग्रेस को 5,30,214 मत मिले हैं. बीजेपी को केवल 33,234 मतों की बढ़त मिली है. 2009 में रामेश्वर नीखरा को कांग्रेस ने यहां से उम्मीदवार बनाया था, तब वे सबसे कम अंतर से हारे थे. यदि उन्हें प्रत्याशी बनाया जाता है, तो कांग्रेस यहां विजय पा सकती है. 2013 में बीजेपी को 5,75,617 और कांग्रेस को 4,50,254 वोट मिले थे.

भोपाल लोकसभा क्षेत्र बीजेपी के गढ़ के रूप में पहचाना जाता है. विधान सभा चुनाव में बीजेपी को 5 और कांग्रेस को 3 सीटें प्राप्त हुई हैं. बीजेपी को 6,57,258 और कांग्रेस को कुल 5,94,009 वोट मिले हैं. बीजेपी 63,248 मतों से आगे है. बीजेपी के लिए यहां पर संभावना है. 2013 में बीजेपी को 6,70,956 और कांग्रेस को 4,63,941 वोट मिले थे.

रीवा लोकसभा क्षेत्र की सभी 8 विधान सभा सीटें बीजेपी ने जीती हैं. उसे 4,11,970 वोट मिले हैं, जबकि कांग्रेस को केवल 3,14,327 वोट ही मिल सके हैं. बीजेपी 97,643 मतों की बढ़त के साथ लोकसभा सीट भी जीतती दिख रही है. 2013 में बीजेपी को 3,19,000 और कांग्रेस को 2,55,959 वोट मिले थे.

सीधी लोकसभा क्षेत्र की 8 विधान सभा सीटों में से बीजेपी ने 7 सीटें जीती हैं. कांग्रेस को एक ही सीट मिल सकी है. प्रतिपक्ष नेता और अर्जुनसिंह के पुत्र अजयसिंह भी चुनाव हार गए हैं. बीजेपी को 4,96,206 और कांग्रेस को 3,91,429 वोट मिले हैं. कांग्रेस 1,04,777 मतों से पीछे है. यह सीट बीजेपी को जा रही है. यदि अजय सिंह राहुल यहां से लोकसभा के लिए कांग्रेस उम्मीदवार बनाए जाते हैं, तो मुकाबला रोचक हो जायेगा. 2013 में बीजेपी को 4,23,556 और कांग्रेस को 4,36,217 वोट मिले थे.

शहडोल लोकसभा क्षेत्र की 8 विधान सभा सीटों में से कांग्रेस-बीजेपी ने 4-4 सीटें जीती हैं. कांग्रेस को 5,12,267 और बीजेपी को 4,90,570 मत मिले हैं. इस तरह कांग्रेस को 21,697 मतों की बढ़त हासिल है. उसे प्रति बूथ केवल 9 मत ही और जुटाने हैं, जो असंभव नहीं है, यह सीट कांग्रेस के पाले में जा रही दिखती है. 2013 में बीजेपी को 4,69,067 और कांग्रेस को 4,27,292 वोट मिले थे.

राजगढ़ लोकसभा क्षेत्र कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता दिग्विजयसिंह का गृह क्षेत्र है. विधान सभा चुनाव में कांग्रेस ने 8 में से 5 और बीजेपी ने 3 सीटें जीती हैं. एक पर दिग्विजयसिंह के पुत्र जयवर्द्धन सिंह और दूसरी पर भाई लक्ष्मणसिंह जीते हैं. कांग्रेस को 6,26,903 और बीजेपी को 5,21,485 वोट मिले हैं. कांग्रेस को 1,05,418 मतों की बढ़त हासिल है. समझा जा रहा है कि स्वयं राज्यसभा सदस्य दिग्विजयसिंह यहां से लोक सभा चुनाव लड़ेंगे. यदि ऐसा हुआ तो कांग्रेस यहां से जीतने का भरोसा कर सकती है. 2013 में बीजेपी को 5,93,184 और कांग्रेस को 5,28,538 वोट मिले थे.

होशंगाबाद लोकसभा क्षेत्र में विधान सभा चुनाव में बीजेपी ने 8 में से 5 और कांग्रेस ने 3 सीटें जीती हैं. बीजेपी को 6,33,987 और कांग्रेस को 5,64,723 वोट मिले हैं. बीजेपी को 69,264 मतों की बढ़त प्राप्त है. सरताजसिंह जैसे बीजेपी नेता अब कांग्रेस में हैं. कांग्रेस यदि संगठन को चुस्त बनाने और उम्मीदवार चुनने में दूरदर्शिता दिखाती है, तो उसके लिए संभावना बन सकती है. 2013 में बीजेपी को 6,78,210 और कांग्रेस को 3,67,981 वोट मिले थे.

छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र मुख्यमंत्री कमलनाथ का संसदीय क्षेत्र है. वे यहां 1980 से लगातार जीत रहे हैं और अजातशत्रु माने जाते हैं. संभावना है कि उनके पुत्र नकुलनाथ यहां से कांग्रेस प्रत्याशी होंगे. विधान सभा चुनाव में यहां की सभी 7 सीटें कांग्रेस ने जीती हैं. कांग्रेस को 5,79,062 और बीजेपी को 4,56,105 वोट हासिल हुए हैं. कांग्रेस 1,22,957 मतों से बढ़त पर है. कांग्रेस यहां से फिर जीतती दिखायी देती है. 2013 में बीजेपी को 4,89,412 और कांग्रेस को 4,34,869 वोट मिले थे.


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