आरोग्य सेतु एप को जरूरी किया जाना गैरकानूनी


Its illegal to make arogya setu mandatory

 

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बीएन श्रीकृष्ण ने सरकार द्वारा आरोग्य सेतु एप को जरूरी किए जाने के कदम को गैरकानूनी बताया है. जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण उस कमेटी के अध्यक्ष थे, जिसने व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा बिल का पहला ड्राफ्ट तैयार किया था.

जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “किस कानून के तहत आप आरोग्य सेतु एप को डाउनलोड करना किसी के लिए जरूरी बना रहे हैं. ऐसा करने के लिए अभी तक कोई कानून मौजूद नहीं है.”

केंद्र सरकार ने एक मई को आरोग्य सेतु एप को सरकारी और निजी ऑफिस में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए जरूरी बना दिया था. केंद्र सरकार ने प्रशासन को कंटेनमेट जोन में भी एप का सौ प्रतिशत प्रयोग सुनिश्चित करने के लिए कहा था. राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एक्ट, 2005 के तहत ये निर्देश जारी किए गए थे.

इस आदेश के बाद नोएडा पुलिस ने आरोग्य सेतु एप डाउनलो़ड ना होने पर छह महीने जेल की सजा और 1,000 रुपये जुर्माने की बात कही.

जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण ने कहा कि नोएडा पुलिस का ये आदेश पूरी तरह से गैरकानूनी है, मुझे लगता है कि ये देश अभी भी लोकतांत्रिक है और ऐसे आदेशों को कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है.

जुलाई 2017 में जब सुप्रीम कोर्ट इस बात पर विचार कर रहा था कि निजता का अधिकार मूल अधिकार है या नहीं, तब सरकार ने जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण को डेटा सुरक्षा पर बनी कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया था. कमेटी ने जुलाई 2018 में एक रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें डेटा सुरक्षा संबंधी कानून बनाने की सलाह दी गई थी.

इस बीच 11 मई को आरोग्य सेतु एप में डेटा सुरक्षा को लेकर प्रोटोकॉल जारी किए गए हैं. सरकार का कहना है कि प्रोटोकॉल तोड़ने वालों को सजा दी जाएगी और आरोग्य सेतु एप के डेटा को 180 दिन बाद डिलीट कर दिया जाएगा. जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण का कहना है कि ये प्रोटोकॉल डेटा सुरक्षा को सुनिश्चित नहीं कर सकते, इसमें यह साफ नहीं है कि प्रोटोकॉल टूटने पर कौन इसके लिए जिम्मेदार होगा.


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