जेट एयरवेज के 16,500 कर्मचारियों के भविष्य पर संशय बरकरार
गहरे आर्थिक संकट से जूझ रही एयरलाइन कंपनी जेट एयरवेज के 16,500 से अधिक कर्मचारियों का भविष्य अभी तक अधर में लटका हुआ है. फौरी मदद के लिए जरूरी नकदी की समस्या अभी तक हल नहीं हो सकी है. इसको लेकर प्रबंधन और ऋणदाताओं के बीच लगातार बातचीत चल रही है.
प्रबंधन ने एक बयान जारी कर कहा है कि उसे बैंकों के कंसोर्टियम से मिलने वाली आपातकालीन धनराशि का अभी तक इंतजार है. जिससे वो अपनी सेवाओं में आ रही गिरावट को रोक सके.
एयरलाइन अभी सिर्फ पांच विमानों का परिचालन कर रही है. कंपनी ने कहा है कि गंभीर नकदी संकट की वजह से उसका परिचालन बुरी तरह प्रभावित हुआ है.
इससे पहले नागरिक उड्डयन मंत्री सुरेश प्रभु ने जेट एयरवेज के किराए में वृद्धि और उड़ाने रद्द किए जाने के फैसलों की फिर से समीक्षा किए जाने की बात कही थी.
हालांकि मदद के लिए बैंक धनराशि देंगे या नहीं इस पर संशय बरकरार है. ब्लूमबर्ग न्यूज के हवाले से हिंदुस्तान टाइम्स लिखता है कि मामले से संबंधित लोगों का कहना है कि बैंकों ने धनराशि देने से मना कर दिया है.
उधर इस मुद्दे से जुड़े दो बैकरों ने पहचान छिपाने की शर्त पर बताया कि बैंक इस एयरलाइन कंपनी की मदद करने की इच्छुक हैं. बैंकरों ने बताया कि वे इस मामले में सरकार का हस्तक्षेप चाहते हैं.
इससे पहले पंजाब नेशनल बैंक के चेयरमैन सुनील मेहता ने कहा है कि एयरलाइन को फिर से खड़ा करने के लिए विचार-विमर्श चल रहा है.
मेहता ने कहा, ‘‘एयरलाइन को फिर खड़ा करने के लिए विचार-विमर्श चल रहा है लेकिन अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है. एसबीआई कैपिटल मार्केट्स जेट एयरवेज के लिए मदद पैकेज पर काम कर रही है.’’
पीएनबी भी भारतीय स्टेट बैंक की अगुवाई वाले उन 26 बैंकों के गठजोड़ का हिस्सा है, जिन्होंने जेट एयरवेज को 8,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज दिया है.