साढ़े चार लाख आवासीय इकाइयां तय समय से पीछे
रीयल एस्टेट क्षेत्र में वित्तीय संकट तथा सुस्ती के कारण करीब 66 अरब डॉलर की आवासीय परियोजनाएं दिवालाशोधन प्रक्रिया से गुजर रही हैं.
संपत्ति को लेकर परामर्श देने वाली कंपनी जेएलएल ने यह अनुमान व्यक्त किया है.
जेएलएल ने कहा कि विभिन्न कारणों से करीब 4.54 लाख आवासीय इकाइयां पूरा होने के तय समय से पीछे चल रही हैं.
जेएलएल के मुताबिक, ”मौजूदा स्थिति में आवासीय रीयल एस्टेट क्षेत्र संकटग्रस्त संपत्तियों में सर्वाधिक योगदान दे रहा है. भारत का आवासीय क्षेत्र विलंबित तथा रुकी परियोजनाओं के दबाव से गुजर रहा है और 4.54 लाख आवासीय इकाइयां पूरा होने के तय समय से पीछे चल रही हैं.”
कंपनी ने कहा कि इनमें से कई पहले ही दिवाला एवं ऋणशोधन प्रक्रिया में जा चुकी हैं, जिनका सम्मिलित मूल्यांकन 66 अरब डॉलर होने का अनुमान है.
भारतीय दिवाला एवं ऋणशोधन बोर्ड के अनुसार, सितंबर 2019 तक रियल एस्टेट क्षेत्र से दिवाला एवं ऋणशोधन के 115 मामले दर्ज हुए. इनमें से 87 मामले प्रक्रिया से गुजर रहे हैं जबकि 28 मामले बंद हो चुके हैं.
जेएलएल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं क्षेत्रीय प्रमुख (भारत) रमेश नायर ने कहा, ”गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की खराब स्थिति तथा इसके बाद तरलता संकट ने इन परियोजनाओं की मुश्किलें बढ़ा दी. पुनर्वित्तपोषण खिड़की बंद होने से कई अटकी परियोजनाओं के समक्ष वित्तपोषण की दिक्कत उपस्थित हो गई. इसके साथ ही खरीदारों द्वारा तैयार संपत्तियों की खरीद को तरजीह देने से भी आवासीय परियोजनाओं पर असर पड़ा है.”