बैंकों के विलय से एनपीए में सुधार के आसार नहीं: मूडीज


Demonetisation: Three PNB officials jailed for four years for illegal transactions

 

सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों का विलय कर चार बड़े बैंक बनाने के सरकार के निर्णय से एनपीए में सुधार के आसार नहीं है. वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज की एक रपट में यह बात कही गई है. रपट में केन्द्र सरकार के बैंकों के विलय के फैसले के बावजूद सरकारी बैंकों की परिसंपत्ति गुणवत्ता और लाभदायकता के खराब बने रहने की बात कही गई है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने  ओरियंटल बैंक आफ कामर्स तथा यूनाइटेड बैंक का पंजाब नेशनल बैंक में, सिंडिकेट बैंक का केनरा बैंक, इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक और आंध्रा बैंक एवं कॉरपोरेशन बैंक का यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में विलय करने की घोषणा की थी. इसके बाद बाजार में मात्र 12 सरकारी बैंक ही रह जाएंगे.

रपट में कहा गया है कि बैंकों के विलय से ऋण क्षेत्र पर सकारात्मक असर होगा. इसकी वजह बैंकों के पूंजी आधार और परिचालन स्तर का विस्तार होना और दीर्घावधि में उनके कामकाज में सुधार होना है.

प्रस्तावित विलय से सरकारी बैंकों का ढांचा बदल जाएगा.

एजेंसी ने कहा, ‘‘विलय के बाद बनने वाले बैंकों का परिचालन स्तर वृहद होगा. इससे कॉरपोरेट बैकिंग क्षेत्र और खुदरा ऋण क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बेहतर होगी.’’

रपट में कहा गया है कि उनका बड़ा आकार प्रौद्योगिकी पर उनके निवेश को भी बढ़ाएगा. रेटिंग एजेंसी के अनुसार विलय के ये फायदे तीन साल में दिखेंगे.


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