भारत के बाद अब अमेरिका में भी केंद्रीय बैंक और सरकार के बीच तनातनी
भारत की तरह अमेरिका में भी केंद्रीय बैंक और सरकार के बीच तनातनी के हालात पैदा हो गए. इसके पीछे की वजहें भी कमोबेश एक जैसी ही हैं. सीएनएन के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कैबिनेट सदस्यों से फेडरल रिजर्व प्रमुख को हटाने के बारे में राय मांगी है.
ट्रंप ने अधिकारियों से पूछा है कि क्या वे फेडरल प्रमुख जेरोम पॉवेल को उनके पद से हटाने का कानूनी अधिकार रखते हैं.
इससे पहले भारत में भी केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल के बीच काफी तनातनी चल रही थी. इसका अंत उर्जित पटेल के इस्तीफे के रूप में सामने आया. भारत में सरकार और केंद्रीय बैंक के विवाद की एक प्रमुख वजह ब्याज दर थी.
सरकार आरबीआई से लगातार ब्याज दरें घटाने की मांग कर रही थी, लेकिन आरबीआई महंगाई का हवाला देकर ब्याज दरों को कम करने के लिए तैयार नहीं थी. केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में गिरावट को लोकलुभावन और लंबे समय की अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक मान रही थी.
अब ठीक ऐसे ही हालात अमेरिका में पैदा हो गए हैं. वहां के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल ने ब्याज दरें बढ़ा दी हैं. इसका सीधा असर ये हुआ कि शेयर मार्केट में काफी गिरावट देखने को मिली. इसके बाद ट्रंप, पॉवेल से खासे नाराज हो गए.
सीएनएन और ब्लूमबर्ग ने इस मामले से जुड़े एक अनाम व्यक्ति के हवाले से कहा कि ट्रंप फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में इजाफा करने से नाराज हैं.
गौरतलब है कि अमेरिका के डाउजोंस में इस घटनाक्रम के बाद भारी गिरावट आई. यह डाउजोंस के लिए पिछले दस साल का सबसे खराब प्रदर्शन वाला सप्ताह रहा.
इस पूरे घटनाक्रम में एक बात और समान है. उर्जित पटेल और पॉवेल दोनों सरकार समर्थक माने जाते थे. भारत में उर्जित पटेल की नियुक्ति रघुराम राजन के स्थान पर की गई थी, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने जेनेट येलेन की जगह जेरोम पॉवेल को फेडरल रिजर्व का प्रमुख नियुक्त किया था.
अमेरिका में फेडरल रिजर्व के प्रमुख का कार्यकाल चार साल का होता है. लेकिन इस घटनाक्रम के बाद अब शायद पॉवेल के साथ वही होने वाला है जो भारत में उर्जित पटेल के साथ हुआ. हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि ट्रंप के पास पॉवेल को हटाने का अधिकार है या नहीं.