दवा बाजार में वृद्धि पिछली सात तिमाहियों के मुकाबले सबसे कम


slowdown in indian pharmaceutical market is lowest in last seven quarters

 

दवा उद्योग से जुड़ी एक रिसर्च कंपनी एआईओसीडी फार्मासॉफ्टटेक एडब्ल्यूएसीएस के डेटा के अनुसार भारत के दवा बाजार की वृद्धि में कमी आई है. इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह कमी पिछली सात तिमाहियों के मुकाबले सबसे धीमी है.

एआईओसीडी के डेटा को आधार बनाकर जेफ्रीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने अपने एक नोट में कहा, “वित्त वर्ष 2019-20 की पहली तिमाही में दवा बाजार में वृद्धि 7.9 फीसदी रही. यह पिछली सात तिमाहियों में सबसे धीमी और पिछले पांच सालों में सबसे कम है.”

दवा बाजार की वृद्धि में यह कमी मई में शुरू हुई. पिछले पांच महीनों की औसत 10 फीसदी वृद्धि दर के मुकाबले मई में यह दर केवल सात फीसदी रह गई. जून में यह और भी गिरकर केवल 6.6 फीसदी रह गई.

मानसून में देरी की वजह से संक्रमण के इलाज में प्रयुक्त होने वाली दवाओं की कुल खरीद पर नकारात्मक असर पड़ा. वहीं जीएसटी लागू के बाद दवाओं का स्टॉक कम कर देने की वजह से भी दवाओं की बिक्री में कमी आई.

हालांकि, यह माना जा रहा है कि जैसे ही दवा उद्योग खुद को जीएसटी के मुताबिक ढाल लेगा और अपना स्टॉक ठीक कर लेगा, वैसे ही दवाओं की बिक्री पहले की तरह सामान्य हो जाएगी. इसी तरह देर से आए मानसून का प्रभाव भी अस्थाई है. लेकिन जो स्थितियां अभी हैं, दवा क्षेत्र में लंबे समय तक यह मंदी कंपनियों के गणित को बिगाड़ सकती हैं.

भारतीय दवा बाजार अमेरिकी दवा बाजार के मुकाबले कम मुनाफा कमा रहा है. लेकिन अमेरिकी दवा बाजार के मुकाबले सधी हुई वृद्धि भारतीय दवा कंपनियों के लिए मजबूती का स्रोत है. इस सधी हुई वृद्धि ने भारतीय दवा बाजार में कमाई का एक स्थाई जरिया तो प्रदान किया ही है, साथ ही भारतीय कंपनियों को अमेरिका के बढ़ते मूल्य दबाव से संरक्षण भी प्रदान किया है.


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