बजट पूर्व बैठक में कृषि कच्चे माल पर जीएसटी खत्म करने की उठी मांग


agriculture experts demands no gst on raw agriculture products also ask for betterment in Crop Insurance Policy

 

वित्त मंत्री के साथ बजट पूर्व बैठक के दौरान कृषि विशेषज्ञों ने 17 दिसंबर को सरकार से कृषि कच्चे माल पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को हटाने, फसल बीमा योजना में सुधार लाने, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) निर्धारित करते समय पट्टे पर ली गई भूमि के किराये को शामिल करने तथा कृषि-जिंसों के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगाने जैसे सुझाव दिए.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ इस बैठक के दौरान, जैविक खेती को बढ़ावा देने के उपायों, भ्रूण, पशु और वीर्य पर आयात शुल्क को 30 फीसदी से घटाकर शून्य करने, इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) में सुधार करने और खाद्य सुरक्षा अधिनियम की पुन: समीक्षा करने जैसी कुछ अन्य सिफारिशें भी की गईं.

भारतीय किसान संघ (बीकेएस) के दिनेश कुलकर्णी ने बैठक के कहा, ”खाद, बीज और कृषि उपकरण जैसे हर कृषि कच्चे माल पर जीएसटी शून्य होना चाहिए.”

उन्होंने यह भी कहा कि कृषि-जिंसों का वायदा कारोबार नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे उपभोक्ताओं या किसानों को कोई लाभ नहीं होता है. उन्होंने सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर विभिन्न फसलों की खरीद बढ़ाने का भी अनुरोध किया.

भारत कृषक समाज के अध्यक्ष अजय वीर जाखड़ ने मांग की कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) को नई फसल बीमा और क्षतिपूर्ति योजना से बदल देना चाहिए या किसान आपदा और राहत आयोग का गठन किया जाना चाहिए.

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को प्रसंस्कृत खाद्य और डेयरी उत्पादों पर जीएसटी घटाकर 5 फीसदी करना चाहिए.

राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के कार्यकारी निदेशक अरुण रस्ते ने कहा, ”हम चाहते हैं कि भ्रूण, पशु और वीर्य पर आयात शुल्क को शून्य किया जाए. सरकार को जल्द से जल्द राष्ट्रीय डेयरी योजना (एनडीपी- II) के कार्यान्वयन की गति को भी तेज करनी चाहिए और इसके लिए बजट में प्रावधान करना चाहिए.”

एनडीपी- दो का उद्देश्य डेयरी क्षेत्र में उत्पादकता को बढ़ावा देना है, जिसपर एक अरब डॉलर की लागत आने का अनुमान है. इसमें से 50 फीसदी विश्व बैंक वहन करेगा और 30 फीसदी केंद्र और शेष 20 फीसदी एनडीडीबी खर्च करेगा.

कंसोर्टियम ऑफ इंडियन फार्मर्स एसोसिएशन (सीआईएफए) के महासचिव बी डी रामी रेड्डी ने कहा कि सरकार को फसलों के लिए एमएसपी निर्धारित करते समय लीज पर लिए खेत के किराए पर भी गौर करना चाहिए जैसा कि स्वामीनाथन आयोग ने सिफारिश की थी.

बैठक में वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर और वित्त, कृषि, उपभोक्ता मामले, खाद्य प्रसंस्करण, पशुपालन मंत्रालय के साथ-साथ नीति आयोग के वरिष्ठ अधिकारीगण भी शामिल थे.


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