पोक्सो एक्ट में संशोधन प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी, मिलेगी मौत की सजा
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने यौन अपराधों से बाल संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम, 2012 में संशोधन को मंजूरी दे दी है. संशोधन के बाद 18 साल से कम उम्र के बच्चों (लड़का/लड़की) के साथ आक्रामक यौन उत्पीड़न करने वाले दोषी व्यक्ति को मौत की सजा दी जा सकेगी. इसमें बच्चों के साथ होने वाले 21 तरह के यौन अपराधों को शामिल किया गया है.
मौजूदा कानून में आक्रामक यौन उत्पीड़न जैसे अपराधों के लिए दोषियों को 10 साल से लेकर उम्र कैद तक की सजा दी जाती थी. कानून में संशोधन के बाद इन अपराधों के लिए दोषियों को 20 साल से लेकर मौत की सजा दी जा सकेगी.
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, “बच्चों का यौन अपराधों से संरक्षण होना जरूरी है इसलिए मंत्रिमंडल ने यौन अपराधों से बाल संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की अलग-अलग धाराओं में संशोधन को मंजूरी दी है.”
मंत्रिमंडल की बैठक के बाद कानून मंत्री ने बताया कि पॉक्सो अधिनियम, 2012 की धारा – 4, 5, 6, 9, 14,15 और 42 में संशोधन बाल यौन अपराधों को कम करने की दिशा में उठाया गया कदम है.
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि अधिनियम की धारा चार, पांच और छह में संशोधन किए जाने का प्रस्ताव किया गया है. यह अधिनियम 18 साल से कम उम्र के व्यक्ति को बच्चा परिभाषित करता है. बयान के मुताबिक यह लैंगिक रूप से निरपेक्ष कानून है, जिसमें 18 साल से कम उम्र के लड़का और लड़की दोनों को ही शामिल किया गया है.
संशोधन में बच्चों को जल्द बड़ा या समय से पहले उन्हें यौन रूप से परिपक्व करने के लिए किसी भी तरीके से हार्मोन या कोई रासायनिक पदार्थ देने के मामले में अधिनियम की धारा – नौ में संशोधन करने का भी प्रस्ताव किया गया है. इसके साथ ही बच्चों के पोर्नोग्राफिक कंटेट से जुड़ी हुई धाराओं में भी बदलाव किया गया है.
बच्चों के साथ रेप, हत्या की कोशिश, सांप्रदायिक हिंसा के दौरान रेप, लगातार यौन उत्पीड़न करने वालों के साथ-साथ मानसिक और शारीरिक रूप से विकलांग बच्चों का यौन उत्पीड़न करने के केस में दोषियों को मौत की सजा दी जा सकेगी.