मोदी कैबिनेट ने बैंकों के विलय के फैसले को मंजूरी दी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सार्वजनिक क्षेत्र के तीन बैंकों के विलय को मंजूरी दे दी है. इस विलय के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक अस्तित्व में आएगा.
केन्द्र सरकार की तरफ से इसका इशारा बहुत पहले से मिलने लगा था. इस पूरे मामलें में यह भी माना जा रहा था कि सरकार बैंकिंग क्षेत्र में पिछले तीन साल से बढ़ रहे एनपीए से लोगों का ध्यान भटकाना चाहती है. इसलिए विलय को इतना महत्व दिया जा रहा है.
हाल ही में इस विलय के खिलाफ करीब 10 लाख बैंक कर्मचारियों ने देश भर में हड़ताल किया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस विलय को मंजूरी दी गई. फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ” विलय से इन बैंकों के कर्मचारियों की सेवा शर्तों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और विलय के बाद कोई छटनी भी नहीं होगी.”
सितंबर, 2018 में वित्त मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई वाली वैकल्पिक व्यवस्था ने तीनों बैंकों के विलय को सैद्धान्तिक मंजूरी दी थी.
वित्तीय सेवा सचिव राजीव कुमार ने पिछले साल कहा था कि विलय के बाद अस्तित्व में आने वाली इकाई के कर्मचारियों को बेहतरीन सेवा शर्तें उपलब्ध कराई जाएंगी और किसी भी कर्मचारी को इसमें कोई दिक्कत नहीं आने दी जाएगी. इसके अलावा ब्रांड पहचान को कायम रखा जाएगा.
इससे पहले 2017 में एसबीआई में भारतीय महिला बैंक सहित पांच बैंकों का विलय हुआ था.
कैबिनेट के इस फैसले के बाद बंबई शेयर बाजार में बैंक आफ बड़ौदा का शेयर 3.16 प्रतिशत टूटकर 119.40 रुपए पर बंद हुआ. वहीं विजया बैंक और देना बैंक के शेयर क्रमश: 51.05 रुपये और 17.95 रुपये पर लगभग स्थिर बंद हुए.
तीनों बैंकों के निदेशक मंडलों ने प्रस्तावित विलय के लिए शेयरों की अदला-बदली की दरों को अंतिम रूप दे दिया है. विलय की योजना के मुताबिक, विजया बैंक के शेयरधारकों को इस बैंक के प्रत्येक 1,000 शेयरों के बदले बैंक ऑफ बड़ौदा के 402 इक्विटी शेयर मिलेंगे. वहीं देना बैंक के शेयरधारकों को प्रत्येक 1,000 शेयर के बदले बैंक ऑफ बड़ौदा के 110 शेयर मिलेंगे.
विलय के बाद बैंक आफ बड़ौदा सरकारी क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और निजी क्षेत्र के आईसीआईसीआई बैंक के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक होगा. इसके बाद अस्तित्व में आए बैंक का कुल कारोबार 14.82 लाख करोड़ रुपए होगा.
विलय के बाद देश में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की संख्या घटकर 18 रह जाएगी. यह योजना एक अप्रैल, 2019 से अस्तित्व में आएगी.