NTPC, NLC INDIA समेत अन्य PSUs देश भर में लगाएंगे ‘स्वच्छ ऊर्जा पार्क’


center wants state run companies to build massive clean energy parks

 

जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने के उद्देश्य के साथ केंद्र सरकार अक्षय ऊर्जा उत्पादन की एक बड़ी परियोजना पर काम रही है.

लाइव मिंट ने एक खबर में लिखा कि प्रस्तावित परियोजना के मुताबिक केंद्र चाहती है कि राज्य संचालित कंपनियां बड़े राज्यों में दो बिलियन डॉलर की लागत वाले स्वच्छ ऊर्जा पार्क स्थापित करे. हालिया खबर के मुताबिक एनटीपीसी लिमिटेड, एनएलसी इंडिया लिमिटेड, पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड को ये बड़े स्वच्छ ऊर्जा पार्क स्थापित करने की जिम्मेदारी दी गई है.

वहीं सरकार के प्रोत्साहन के बाद नीपको, एनएचपीसी लिमिटेड, टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन इंडिया लिमिटेड, एसजेवीएनएल, दामोदर वैली कॉरपोरेशन की भी परियोजना में भागीदारी देखी जा सकेगी.

ऐसे समय में जब विश्व जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने पर विचार कर रहा है तब भारत अक्षय ऊर्जा पर गंभीरता से काम कर रहे देशों में से एक बनकर उभरा है.

2000 मेगावॉट की क्षमता वाले ये अल्ट्रा मेगा अक्षय ऊर्जा बिजली पार्क (यूएमआरईपीपी) सौर और पवन ऊर्जा पर शुल्क को आगे कम करने में मदद करेंगे. स्वच्छ ऊर्जा पार्क मौजूदा सौर पार्क योजना के तहत ही बनाए जाएंगे. इस परियोजना को विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) के जरिए रूप दिया जाएगा.

नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय में सचिव आनंद कुमार ने कहा, “राज्य संचालित कंपनियों (पीएसयू) से एसपीवी के तहत राज्य सरकारों के साथ मिलकर बड़े राज्यों में अल्ट्रा मेगा अक्षय ऊर्जा बिजली पार्क लगाने की मांग की गई है.”

उन्होंने कहा, “यह एसपीवी पर निर्भर करता है कि वो राज्य सरकारों या निजी लोगों से जमीन खरीदेगी या उसे किराए पर लेगी.”

राज्यों को इसमें शामिल करने और सभी जरूरी मंजूरी हासिल करने के लिए राज्य सरकारों को प्रति यूनिट 0.02 रुपये का भुगतान किया जाएगा. योजना की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकारों की मदद से एसपीवी जमीन की पहचान करने के अलावा सभी कानूनी मंजूरी भी लेगी.

विद्युत मंत्रालय की इस परियोजना का उद्देश्य एक ही स्थान पर ऊर्जा उत्पादन के बड़े संयत्र स्थापित करने का है. स्वच्छ ऊर्जा पार्क में सौर और पवन ऊर्जा संयत्र लगाने वाले संचालकों का चयन शुल्क आधारित प्रतिस्पर्धी बोली के जरिए होगा.

जहां स्वच्छ ऊर्जा संयत्र स्थापित करने के दिशा में इसे बड़े कदम के तौर पर देखा जा रहा है वहीं सरकार भारत को इलेक्ट्रिक वाहनों और उसके कल-पुर्जों के वैश्विक उत्पादक के तौर पर भी स्थापित करना चाहती है.

दक्षिण एशियाई देश कच्चे तेल के तीसरे सबसे बड़े आयातक हैं, जहां बढ़ता प्रदूषण एक बड़ी समस्या है.

स्वच्छ ऊर्जा स्रोत्रों पर सरकार का बढ़ता जोर इस क्षेत्र में बढ़ते निवेश के तौर पर देखा जा सकता है. फिलहाल भारत स्थापित ऊर्जा संयंत्रों से 357,875 एमडब्ल्यू ऊर्जा का उत्पादन होता है. इसका करीबन 22 फीसदी हिस्सा यानी 80,000 एमडब्ल्यू स्वच्छ ऊर्जा संयंत्रों से उत्पादित होता है.

भारत ने 2022 तक स्वच्छ ऊर्जा संयंत्रों से 175 गीगावॉट ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. जिसे 2030 तक बढ़ाकर 500 गीगावॉट करने का लक्ष्य रखा गया है.


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