समय और पैसों के बर्बादी से ज्यादा कुछ नहीं है राष्ट्रमंडल खेल: IOA अध्यक्ष


Commonwealth Games is nothing more than a waste of time and money: IOA President

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भारतीय ओलिंपिक संघ (आईओए) के अध्यक्ष नरेंद्र बत्रा ने कहा है कि देश को राष्ट्रमंडल खेलों का पूरी तरह से बहिष्कार कर देना चाहिए. बत्रा ने कहा कि भारत को अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जहां ओलंपिक में अपनी स्थिति में सुधार के लिए प्रतिस्पर्धा का स्तर ऊंचा हो.

बत्रा ने कहा कि वह आईओए के कार्यकारी बोर्ड की बैठक में अपना पक्ष रखेंगे. बैठक अगले महीने होने की सम्भावना है. अगर सदस्य अनुमोदन करते हैं तो ओलिंपिक बॉडी इसे सरकार और बाद में राष्ट्रमंडल खेल महासंघ के पास ले जाएगा.

“इन खेलों का कोई मानक नहीं है, मेरे लिए ये समय और पैसों की बर्बादी है. बत्रा ने रियो में भारत के टैली का जिक्र करते हुए कहा कि राष्टमंडल खेलों में हम 70 या 100 मैडल जीतते हैं.  वहीं ओलिंपिक में हम दो मैडल से ज्यादा नहीं जीत पाते. इसका मतलब यह है कि राष्टमंडल खेलों में प्रतिस्पर्धा का स्तर अधिक नहीं है. हमें बेहतर प्रतियोगिताओं में जाना चाहिए और ओलिंपिक की तैयारी करनी चाहिए.”

जुलाई में, अंतर्राष्ट्रीय शूटिंग स्पोर्ट फेडरेशन (ISSF), नेशनल राइफल एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया (NRAI) को राष्ट्रमंडल खेलों के कार्यक्रम से हटाने के बाद आईओए ने एक अभूतपूर्व कदम उठाया और बर्मिंघम में होने वाले 2022 के राष्टमंडल खेलों का  पूर्ण बहिष्कार करने का प्रस्ताव रखा.

पूर्व खेल मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और सीजीएफ के अध्यक्ष लुईस मार्टिन 14 नवंबर को आईओए के अधिकारियों के साथ-साथ खेल मंत्री किरेन रिजिजू से मिलने के लिए नई दिल्ली आने की संभावना है.

बत्रा ने कहा कि वह खेलों के स्टैंडअलोन संस्करण से बहिष्कार करने के पक्ष में नहीं थे. “मैं बहिष्कार के पक्ष में नहीं हूं खेलों में, आप कभी भी बहिष्कार शब्द का इस्तेमाल नहीं करते हैं.”

सरकार ने अब तक बर्मिंघम खेलों का बहिष्कार करने के लिए आईओए और एनआरएआई का विरोध किया है. इस तरह के फैसले एकतरफा नहीं लिए जा सकते हैं. लेकिन बत्रा ने सीडब्ल्यूजी में भाग लेने पर कहा कि इससे भारतीय एथलीटों को कोई फायदा नहीं होगा क्योंकि प्रतियोगिता स्तर उच्च स्तर पर नहीं है. खेल प्रशासक के रूप में, यह सुनिश्चित करना मेरा कर्तव्य है कि भारत के पास 2024, 2028, 2032 ओलंपिक के लिए एक मजबूत टीम है.

भारत ने 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में 101, 2014 के खेलों में 64 और 2018 के खेलों में 66 मैडल जीते थे. इन खेलों में पदक जीतने वाले एथलीटों को मोटी पुरस्कार राशि मिलती है, जिसमें केंद्र द्वारा स्वर्ण पदक विजेताओं के लिए 30 लाख, रजत विजेताओं के लिए 20 लाख और कांस्य पदक जीतने वालों के लिए 10 लाख शामिल हैं.

राज्य सरकारें अलग पुरस्कार राशि प्रदान करती हैं, जबकि रेलवे, तेल कंपनियों और राज्य पुलिस विभाग जैसे नियोक्ता पदक विजेताओं को नकद प्रोत्साहन और या पदोन्नति प्रदान करते हैं.


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