दिल्ली सरकार को गलत आकलन से 1,701 करोड़ के राजस्व का नुकसान


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दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा कई मामलों में कम आकलन करने तथा दूसरी तरह की अनियमितताओं के चलते 2017- 18 में 1,701.14 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हुआ है. नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की ताजा रिपोर्ट में जानकारी दी गई है.

रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकार की 2017- 18 में कुल राजस्व प्राप्तियां बढ़कर 38,667.27 करोड़ रुपये पर पहुंच गईं, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 34,345.74 करोड़ रुपये थीं.

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की यह रिपोर्ट तीन दिसंबर को राज्य विधानसभा में पेश की गई. इसमें कहा गया है, हालांकि, व्यापार एवं कर, राज्य उत्पाद, परिवहन और राजस्व विभाग की 70 इकाइयों की जांच से पता चलता है कि 2017-18 में कम आकलन, शुल्क प्राप्ति कम रहने और अन्य अनियमितताओं की वजह से 1,701.14 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ.

उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली सरकार के राजस्व और सामाजिक तथा आर्थिक क्षेत्रों पर आडिटर रिपोर्ट को विधानसभा में रखा. इस रिपोर्ट में 2013-14 से 2017-18 की अवधि को लिया गया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017-18 में कुल राजस्व प्राप्तियां 2016-17 की तुलना में 4,321.53 करोड़ रुपये अधिक रहीं.

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट कहती है कि दिल्ली परिवहन अवसंरचना विकास निगम (डीटीडीआईसी) की विफलता की वजह से दिल्ली के उत्तरी और दक्षिण पश्चिमी छोरों– द्वारका और नरेला में आईएसबीटी नहीं स्थापित किया जा सका जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 20 साल से भी अधिक समय पहले ऐसा करने का निर्देश दिया था.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इन दो आईएसबीटी के माध्यम से वायु प्रदूषण घटाने के उद्देश्य को हासिल नहीं किया जा सका और हरियाणा, राजस्थान, पंजाब और हिमाचल प्रदेश की बसों की सराय काले खां और कश्मीरी गेट आईएसबीटी तक आवाजाही बनी हुई है.


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