जेट एयरवेज को संकट से उबारने के लिए एसबीआई की नई योजना


jet airways personnel commit suicide

 

संकट से जूझ रही विमानन कंपनी जेट एयरवेज की डूबती नैय्या को पार लगाने के लिए एसबीआई नई योजना लेकर सामने आई है. इसके तहत एसबीआई जेट एयरवेज के लिए 9,535 करोड़ रुपये का फंड जुटाने जा रही है. और ये सब इसके संस्थापक नरेश गोयल और एतिहाद एयरवेज के बिना होगा.

एसबीआई जेट एयरवेज में सबसे बड़ा देनदार है.

इस योजना में दो अज्ञात निवेशकों का 3,850 करोड़, राज्य संचालित उधारदाताओं के 850 करोड़ और 485 करोड़ पब्लिक शेयर होल्डर से जुटाए जाएंगे. इसके अलावा 2,400 करोड़ का अतिरिक्त कर्ज और 2,000 करोड़ रुपये नॉन-फंड आधारित सेवाओं से जुटाए जाएंगे.

एसबीआई की इस प्रस्तावित योजना में अबूधाबी आधारित एयरलाइन कंपनी एतिहाद को शामिल नहीं किया गया है. इसमें बड़े पैमाने पर घरेलू देनदारों को भी शामिल नहीं किया गया है.

बीते महीने गोयल के इस्तीफे की शर्त पर देनदारों ने 1,500 करोड़ रुपये डाले थे. जेट एयरवेज के डूबने से तमाम नौकरियां संकट में आ जाएंगी. लोकसभा चुनाव को देखते हुए ये मोदी सरकार के लिए अच्छी खबर नहीं होगी.

नई योजना के मुताबिक गोयल और एतिहाद दोनों ही अपने हिस्से के शेयर ट्रांसफर कर देंगे. इसमें से 51 फीसदी शेयर गोयल के हैं, जबकि 24 फीसदी का शेयर धारक एतिहाद है.

जेट एयरवेज का संचालन एक ट्रस्ट के माध्यम से किया जा रहा है. इस ट्रस्ट के लिए देनदार जिम्मेदार लोगों का चयन करते हैं. इन ट्रस्टियों के पास ‘कॉल’ का विकल्प होता है. अब इस नई योजना का लागू होना हितधारकों के ऊपर निर्भर करता है.

दो नए निवेशकों के शामिल हो जाने से कंपनी का स्ट्रक्चर बदल जाएगा. दोनों निवेशकों को जेट एयरवेज में 19.9 फीसदी और 24.6 फीसदी की हिस्सेदारी मिलेगी. जबकि इसके बाद बैंक की हिस्सेदारी घटकर 29.9 फीसदी रह जाएगी, साथ ही पब्लिक शेयर होल्डर की हिस्सेदारी 10.7 फीसदी और ट्रस्ट की हिस्सेदारी 14.9 फीसदी रह जाएगी.

इस योजना के सामने आने के बाद एतिहाद की ओर से जारी बयान में कहा गया, “एतिहाद, जेट एयरवेज संकट का हल निकालने के लिए कंपनी के साथ मिलकर काम करता रहेगा.”


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