अमेरिकी फ़ौज की वापसी के बाद तुर्की ने सीरिया भेजे अपने सैनिक


 

सीरिया का मैदान खाली होते ही तुर्की ने अपने सैनिक उतारने शुरू कर दिए हैं. तुर्की के राष्ट्रपति रिचप तैय्यप अर्दोवान ने तुर्की के और सैनिकों को सीरिया भेजने की घोषणा की है.

तुर्की इसे अपने पुराने दुश्मन कुर्दों को सबक सिखाने के लिए मौके के तौर पर देख रहा है. तुर्की सरकार और कुर्दिश मिलीशिया के बीच 1984 से ही संबंध खराब चल रहे हैं.

इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीरिया से अमेरिकी सैनिकों को वापस बुलाने की घोषणा कर दी थी. सीरिया में करीब 2 हजार अमेरिकी सैनिक आईएसआईएस से मुकाबला कर रहे थे.

तुर्की, कुर्द लड़ाकों को पहले ही आतंकवादी संगठन घोषित कर चुका है. जबकि कुर्दिश लड़ाकों को अमेरिका का सहयोग मिला हुआ था. कुर्दिश पीपुल्स प्रोटेक्शन यूनिट (वाईपीजी) सीरिया में एक प्रमुख अमेरिकी सहयोगी थी.

ट्रंप के इस कदम की उनके सहयोगी देशों ने जमकर आलोचना की थी. यहां तक की अमेरिका में भी रिपब्लिकन और डेमोक्रेटस ने इसके लिए ट्रंप की आलोचना की है. इसको लेकर ट्रंप का तर्क था कि सीरिया में उनका मकसद पूरा हो चुका है.

तुर्की के राष्ट्रपति अर्दोवान सेना भेजने के फैसले को सीरियाई लोगों के हित में बता रहे हैं. उन्होंने कहा, “जिस तरह से हम अपने सीरियन अरबों को आईएसआईएस के लिए नहीं छोड़ेंगे उसी तरह हम सीरियन कुर्दिश को पीकेके के अत्याचार के लिए नहीं छोड़ेंगे.”

स्थानीय मीडिया के मुताबिक तुर्की सेना के कुछ दस्ते बीते सोमवार को सीरिया सीमा पर पहुंच गए, कुछ वाहन सीरिया सीमा के भीतर भी गए.

इससे पहले अर्दोआन के मीडिया प्रवक्ता ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा था कि अमेरिकी सेना के अधिकारी इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तुर्की आयेंगे.

बीते शनिवार को ट्रंप और अर्दोवान के बीच फोन पर हुई बातचीत को दोनों नेताओं की ओर से सफल बताया गया था. दोनों इस बात को लेकर सहमत हुए थे कि सीरिया में शून्यता का माहौल नहीं बनना चाहिए.

इससे पहले कुर्दिश शासन की ओर से अमेरिका से तुर्की को रोकने की बात कही जा चुकी है. कुर्द शासन फ्रांस से सीरिया में मदद की गुहार भी लगा चुका है.

अमेरिका के अन्य सहयोगियों ने सेना वापस बुलाने के कदम की आलोचना की है. जबकि तुर्की अमेरिका का अकेला सहयोगी है जिसने इस कदम के लिए उसकी प्रशंसा की है.