ईरानी तेल के आयात पर प्रतिबंध से भारतीय ऊर्जा सुरक्षा पर खतरा


us sanction on iran oil import will hurt indian energy security

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अमेरिका ईरान पर लगे प्रतिबंध और कड़े करने जा रहा है. वह आने वाली दो मई से दुनिया के कई देशों को ईरान से तेल आयात में दी जाने वाली छूट को खत्म करने जा रहा है. इन देशों में भारत का नाम भी शामिल है.

अमेरिका की तरफ से भारत, चीन, इटली, ग्रीस, जापान, दक्षिण कोरिया, ताइवान और तुर्की को 180 दिन का समय दिया गया था. जिसे अमेरिका ने आगे ना बढ़ाने का निश्चय किया है. ये बात अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने व्हाइट हाउस में दिए गए एक बयान में कही है.

ईरान पर दबाव बढ़ाने और उसके शीर्ष कारोबारी उत्पाद की बिक्री पर लगाम कसने के इरादे से ट्रंप के इस फैसले का भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर प्रभाव पड़ सकता है.

व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव सारा सैंडर्स ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति डोनाल्ड जे. ट्रंप ने मई की शुरुआत में खत्म हो रही छूट से संबंधित ‘सिग्निफिकेंट रिडक्शन एक्सेप्शंस’ (एसआरई) को फिर से जारी नहीं करने का फैसला किया है. यह फैसला ईरान के तेल निर्यात को शून्य तक लाना है और वहां के शासन के राजस्व के प्रमुख स्रोत को खत्म करना है.’’

ईरान के साथ हुए 2015 में ऐतिहासिक परमाणु समझौते से हटते हुए अमेरिका ने पिछले साल नवंबर में ईरान पर पुन: प्रतिबंध लगाया था.

इस फैसले के तहत भारत समेत सभी देशों को दो मई तक ईरान से अपना तेल का आयात रोकना होगा. यूनान, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया और ताइवान पहले ही ईरान से अपना तेल निर्यात काफी कम कर चुके हैं.

इराक और सऊदी अरब के अलावा ईरान भारत का तीसरा सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश है.

‘वाशिंगटन पोस्ट’ की रिपोर्ट के अनुसार चीन और भारत फिलहाल ईरान से तेल आयात करने वाले सबसे बड़े देश हैं. अगर वे ट्रंप की मांगों का समर्थन नहीं करते हैं तो इससे दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंध में तनाव आ सकता है और कारोबार जैसे अन्य मुद्दों पर इसका असर पड़ सकता है.

भारत ने बीते मार्च महीने में ईरान से करीब ढाई लाख बैरल कच्चा तेल प्रति दिन के हिसाब से आयात किया है. प्रतिबंध लगने के बाद भारत को इसका विकल्प खोजना होगा. इससे भारत का आयात खर्च निश्चित तौर पर बढ़ जाएगा, जिसकी वजह से महंगाई को हवा मिलेगी.

इस समय कच्चे तेल की कीमतों में 2.6 फीसदी का उछाल आ चुका है जो बीते नवंबर के बाद सबसे अधिक है.

उधर ईरान ने कहा है कि अगर अमेरिका उसकी अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने की कोशिश करेगा तो वो हर्मूज की खाड़ी से तेल के आवागमन को बाधित कर देगा. खाड़ी देशों से होने वाले तेल व्यापार का ज्यादातर हिस्सा इसी क्षेत्र से होकर जाता है.


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