कोई देश लोगों को गैस चैंबर में मरने के लिए नहीं भेजता: सुप्रीम कोर्ट


no country sends people to die in gas chamber: supreme court

 

सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षा से संबंधित उपकरणों के अभाव में हुई सफाईकर्मियों की मौतों के मामले में केंद्र सरकार को फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा कि भारत को स्वतंत्र हुए 70 साल हो गए लेकिन जातियों में भेदभाव का चलन अब भी बना हुआ है.

कोर्ट ने कहा, “ऐसा कोई भी देश नहीं है, जहां लोगों को गैस चैंबर में मरने के लिए भेजा जाता है. हर महीने कम से कम चार-पांच की मौत हाथ से नालों को साफ करने के दौरान होती है.”

जस्टिस अरुण मिश्रा की पीठ ने इस केस की सुनवाई की.

कोर्ट ने सरकार की खिंचाई करते हुए कहा, “हर इंसान एक समान है लेकिन उन्हें मिलने वाली सुविधाएं नहीं.”

सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र का पक्ष रख रहे जनरल केके वेणुगोपाल से पूछा कि मैनहोल और नालियों में सफाई का काम करने वाले सफाईकर्मियों को मास्क और ऑक्सीजन सिलेंडर क्यों नहीं दिए जा रहे हैं?

कोर्ट ने कहा, “देश के संविधान में छुआछूत को हटाने के बाद भी, क्या आप उनसे हाथ मिलाते हैं? इसका जवाब नहीं है. हम ऐसे तरक्की कर रहें हैं? आजादी से तो 70 साल का फासला तय कर लिया लेकिन यह सब अब भी हो रहा है.”

पीठ ने आगे कहा कि इंसानों के साथ ऐसा सलूक करना बेहद ही अमानवीय है.

केके वेणुगोपाल ने कहा कि सड़क या मैनहोल के सफाई कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज नहीं हो सकता लेकिन पर्यवेक्षी अधिकारी जिनके अंतर्गत काम कराया जाता है, वो जवाबदेह हैं. साल 2019 के पहले छह महीनों में ही 50 सफाई कर्मचारियों की मौत हुई है.


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