रिपोर्टर डायरी: हुड्डा के लिए यह लड़ाई आर-पार की है


reporter diary from bilal sabjwari

 

भूपेंद्र सिंह हुड्डा और गुलाम नबी आजाद की सोनिया गांधी से सुबह करीब 10 बजे हुई मुलाकात 24 अकबर रोड स्थित कांग्रेस दफ्तर में घंटों चर्चा का विषय बनी रही.

कहा जा रहा है कि यह लड़ाई आर पार की है. हुड्डा या तो तैर जाएंगें या फिर डूब जाएंगें. अनुमान तैरने के ज्यादा हैं. क्योंकि हुड्डा को नाराज करने से हरियाणा में कांग्रेस का अस्तित्व संकट में आ जाएगा. अशोक तंवर पर दांव लगाना अक्लमंदी नहीं है. हुड्डा के रहते तो कुछ सीट आ सकती हैं लेकिन तंवर के होने पर तो मामला एकदम बैठ जाएगा.

वहीं इस बात की भी चर्चा रही कि हुड्डा हर कीमत पर खुद टिकटों का बंटवारा करना चाहते हैं. या तो उनका प्रदेश अध्यक्ष हो या फिर उनको सीएलपी बनाकर उनकी इस मांग को पूरा किया जाए. इससे नीचे वो राजी नहीं हैं और इसी शर्त पर वो अपनी अलग पार्टी बनाने से रुके भी हैं.

हरियाणा के कुछ नेता तो यहां तक कह रहे हैं कि हुड्डा का जाना तो तय है. अब बनता कौन है यह देखना है. लेकिन हुड्डा के बिना हरियाणा में पार्टी कुछ भी नहीं.

हालांकि हुड्डा के बेटे दीपेंद्र अभी कार्यकर्णी के सदस्य हैं और उनकी राहुल गांधी से बनती भी है, लेकिन तंवर के मामले में वो भी हल्के साबित रहे. अब सोनिया गांधी आई हैं. देखते हैं कि क्या बदलाव करती हैं.

वहीं दिल्ली के प्रभारी पीसी चाको ने की खबर भी निकाली की उन्होंने सोनिया गांधी को कहा है कि वो अब दिल्ली के प्रभारी बनने में इच्छुक नहीं हैं. जब उनसे इस बारे में पूछा गया कि क्या खबर सही है तो उन्होंने उल्टा मीडिया पर इल्जाम लगाते हुए कहा कि पहले मीडिया खुद चलाता है फिर बाद में पूछता है मैंने सोनिया गांधी को कोई पत्र नहीं लिखा. कौन क्या कहता है वो जाने.

वहीं महाराष्ट्र में भी कांग्रेस और एनसीपी के बीच समझौता भले ही होता दिख रहा है, लेकिन अंदरूनी तौर पर मामला बिगड़ा हुआ है. पार्टी के लोगों का कहना है कि एनसीपी पर हमसे समझौता न करने को लेकर केंद्र का दवाब है. क्योंकि भाजपा वहां अकेला लड़ना चाहती है और वो शिव सेना को भी डोज देने के पक्ष में है. ऐसे में कुछ भी हो सकता है.


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