क्या बलराज साहनी अपनी मौत की आहट को पहचान गए थे


 

कुछ लोग अपनी ही तरह की जिंदगी जीते हैं, जिंदगी की हर पुरानी लकीर को तोड़ते, हर उस रवायत को तोड़ते, जो इंसान को कृत्रिम होना सिखाती है. बलराज साहनी भी ऐसी ही जिंदगी जीते रहे.


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