खरना के प्रसाद का खास महत्व


 

लोक आस्था के महापर्व छठ में खरना और खरना के प्रसाद का उतना ही महत्व माना जाता है जितना छठ के अर्घ्य पूजन का. छठ व्रती छह सांझ बेला में खरना ग्रहण करने के साथ ही 36 घंटे का अखंड और निर्जला उपवास करते हैं. छठ के दूसरे अर्घ्य के बाद ही व्रतियों का उपवास टूटता है. खरना में रोटी और रासियाव यानी गुड़ के खीर का प्रसाद बनता है जिसे खाने और समाज के लोगों को खिलाने का भी उतना ही महत्व माना जाता है. पटना में एक छठव्रती परिवार के साथ छठ के खरना अनुष्ठान का जायज़ा लिया हमारे संवाददाता नवेन्दु सिन्हा ने.


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