Rajneeti : मजदूरों के मुद्दे पर मिलकर क्यों नहीं लड़ते मजदूर संगठन?


 

कोरोना संकट के दौर में संगठित और असंगठित दोनों तरह के मजदूरों का बुरा हाल है. इस बीच उद्योग जगत को, खास तौर पर चीन छोड़कर जाने वाली कंपनियो को भारत की ओर आकर्षित करने के दावे के साथ बड़े पैमाने पर श्रम कानूनो में बदलाव किया जा रहा है. काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 12 तक किया जा रहा है. जब मुद्दा एक है तब दलों की दीवार तोड़कर मजदूर संगठन एक साथ क्यों नहीं आते? क्या इससे मजदूरों की लड़ाई कमजोर नहीं होगी?


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