अनुच्छेद 35-ए पर रुख बरकरार: जम्मू-कश्मीर प्रशासन


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जम्मू कश्मीर राज्यपाल प्रशासन ने अनुच्छेद 35-ए पर सभी अटकलों को विराम देते हुए कहा कि इस मुद्दे पर हमारे रुख में कोई बदलाव नहीं आया है. प्रशासन ने यह भी साफ किया कि निर्वाचित सरकार ही इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में रुख रख पाएगी.

जम्मू कश्मीर में राज्यपाल प्रशासन के मुख्य प्रवक्ता रोहित कंसल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, “हमने सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 35 ए पर सुनवाई को टालने के अनुरोध किया है. इस मामले पर राज्य सरकार का रुख पहले की तरह है.”

सुप्रीम कोर्ट में संविधान के अनुच्छेद 35 ए पर होने वाली सुनवाई से पहले प्रशासन ने 150 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया है. इनमें अलगाववादी नेता यासिन मलिक, जमात ए इस्लामी जम्मू एंड कश्मीर के प्रमुख अब्दुल हामिद फयाज सहित 150 लोग शामिल हैं.

इतनी तादात में हुई हिरासत के बाद यह कयास लगाया जा रहा था कि अनुच्छेद 35-ए पर सुनवाई को लेकर प्रशासन ने यह कदम उठाया है.

सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 35 ए की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर सकता है. हालांकि इस अनुच्छेद पर सुप्रीम कोर्ट में कब सुनवाई होगी, इसको लेकर अनिश्चितता बरक़रार है.

अनुच्छेद 35A जम्मू-कश्मीर की विधान सभा को स्थाई नागरिक की परिभाषा तय करने का अधिकार देता है, जिसे कि राज्य में 14 मई 1954 को लागू किया गया था.

अर्द्धसैनिक बल की भारी तैनाती को लेकर भी राज्यपाल प्रशासन ने कहा है कि यह चुनाव के मद्देनजर किया गया है. अर्द्धसैनिक बलों की 100 कंपनियों में 45 कंपनियां सीआरपीएफ से है, जबकि बीएसएफ से 35 और एसएसबी, आईटीबीपी से 10-10 कंपनियां हैं.

केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर में 14 साल बाद सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को तैनात किया है.

राज्यपाल प्रशासन के प्रवक्ता ने राज्य की जनता से अफवाहों पर ध्यान नहीं देने का अनुरोध किया. उन्होंने यह भी कहा कि आधी अधूरी सूचनाओं के आधार पर लोग घबराहट पैदा नहीं करें.

राज्य में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी होने के बावजूद तनाव व्याप्त है.


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