कश्मीर पर फैसला बहुसंख्यकवाद से प्रेरित है: अमर्त्य सेन


London School of Economics announces Amartya Sen Chair

 

नोबेल विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के भारत सरकार के फैसले की कड़ी आलोचना की है. उन्होंने एनडीटीवी को दिए इंटरव्यू में इसे ना सिर्फ बहुसंख्यकवाद की हुकूमत बताया बल्कि यह भी कहा कि यह सभी लोगों के लिए समान अधिकारों की मुकालफत भी करता है.

अमर्त्य सेन ने अपने इंटरव्यू में सरकार के इस फैसले की कई स्तरों पर आलोचना की. उन्होंने कहा, “एक भारतीय के तौर पर मैं इस बात पर फख्र नहीं कर सकता कि एक लोकतांत्रिक देश की हैसियत से तमाम उपलब्धियों के बावजूद हमने इस फैसले से अपनी प्रतिष्ठा खो दी है.”

सरकार के मौजूदा फैसले को कई राजनीतिक दलों और राजनेताओं का समर्थन हासिल हुआ था.

अनुच्छेद 370 खत्म होने के बाद दूसरे राज्यों के लोगों के द्वारा जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने जैसी बातों को लेकर अमर्त्य सेन का कहना है कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को इस बारे में फैसला लेना चाहिए.

उन्होंने कहा, “इसे लेकर कश्मीरियों को सिर्फ हक है कि वो क्या करते हैं. आखिर ये उनकी जमीन है.” उन्होंने जम्मू-कश्मीर के नेताओं को नजरबंद करने और उन्हें हिरासत में लेने की भी आलोचना की.

उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता है कि आप वहां के लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले नेताओं की आवाज सुने बिना न्याय कर पाएंगे. आप उन्हें जेल में डालकर जिन्होंने देश का नेतृत्व किया है, इससे पहले सरकारें बनाई हैं, आप लोकतंत्र के उन रास्तों पर गतिरोध पैदा कर रहे हैं, जो लोकतंत्र को सफल बनाते हैं.”

सरकार ने जम्मू-कश्मीर में भारी सुरक्षा इंतजाम को एहतियात के तौर पर उठाया गया कदम बताया है ताकि किसी अनहोनी को होने से रोका जा सके.

इस पर अमर्त्य सेन का कहना है, “उपनिवेशवाद के दौर में इसी तरह की बात की जाती थी. ब्रिटेन ने पूरे दो सौ सालों तक ऐसे ही इस देश पर हुकूमत किया था.”


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