मजदूरों के पैरों में मुनाफे की बेड़ियां


Karnataka govt cancels trains for migrants after meating with builders

 

कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण देश के विभिन्न इलाकों में मजदूरों का हाल खराब है. करोड़ों मजदूर अपना रोजगार खो चुके हैं और शहरों में फंसे हुए हैं. जहां वे भूखमरी और बेबसी का शिकार हैं. केंद्र सरकार ने हाल ही में मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए विशेष ट्रेन चलाने का फैसला लिया था. इससे पहले लाखों मजदूर पैदल ही सैंकड़ों किलोमीटर की यात्रा करने के लिए मजबूर हुए.

ऐसे में कर्नाटक सरकार ने प्रवासी कामगारों को उनके गृह राज्यों तक पहुंचाने के लिये विशेष ट्रेनें चलाने का अपना अनुरोध वापस ले लिया है.

दरअसल, कुछ ही घंटे पहले भवन निर्माताओं (बिल्डर) ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा से मुलाकात की थी और प्रवासी कामगारों के वापस जाने से निर्माण क्षेत्र को पेश आने वाली समस्याओं से अवगत कराया था.

बताया जा रहा है कि बिल्डरों को यह डर सता रहा है कि भारी संख्या में मजदूरों के चले जाने से उन्हें सस्ते मजदूर मिलने बंद हो जाएंगे, जिससे उनका मुनाफा कम हो जाएगा.

प्रवासियों के लिये नोडल अधिकारी एवं राजस्व विभाग में प्रधान सचिव एन मंजूनाथ प्रसाद ने दक्षिण-पश्चिम रेलवे से बुधवार को छोड़ कर पांच दिनों के लिए प्रतिदिन दो ट्रेनें परिचालित करने का पांच मई को अनुरोध किया था, वहीं राज्य सरकार चाहती थी कि बिहार के दानापुर के लिए प्रतिदिन तीन ट्रेनें चलाई जाएं.

बाद में, प्रसाद ने कुछ ही घंटे के अंदर एक और पत्र लिख कर कहा कि विशेष ट्रेनों की जरूरत नहीं है.

उल्लेखनीय है शहर में बड़ी संख्या में प्रवासी कामगार अपने-अपने घर लौटना चाहते हैं क्योंकि उनके पास ना तो रोजगार है, ना ही पैसा.

प्रसाद ने दक्षिण-पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक को मंगलवार को लिखा, ‘‘चूंकि कल से ट्रेन सेवाओं की जरूरत नहीं हैं, इसलिए इसका उल्लेख करने वाला पत्र वापस लिया गया समझा जाए.’’

रेल अधिकारियों ने कहा कि उन्हें विशेष ट्रेनों के परिचालन के लिए पहले भेजे गए पत्र को वापस लेने का अनुरोध करने वाला पत्र प्राप्त हुआ है.

बिल्डरों के साथ बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने मजदूरों से रूके रहने का अनुरोध किया और उन्हें हर संभव सहायता का भरोसा दिलाया.

वहीं उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के प्रवासी कामगार शहर में हंगामा करते हुए अपने-अपने घर वापस भेजने की मांग कर रहे हैं.

कर्नाटक के राजस्व मंत्री आर अशोक ने प्रवासी कामगारों से बेंगलुरू अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी केंद्र में मुलाकात की थी, जहां उन्हें रखा गया है.

असल में कोविड-19 से संक्रमित हो जाने की आशंका से ज्यादातर प्रवासी कामगार शहर में रूके रहने से डर रहे हैं.

उनकी यह भी आशंका है कि यदि उन्हें या उनके परिवार के साथ कोई अप्रिय घटना होती है तो अपने घर नहीं पाएंगे.

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर निवासी और पेंटर का काम करने वाले शैलेश ने कहा कि उसके पास अब सारे पैसे खत्म हो गए हैं.

शैलेश ने कहा, ‘‘मेरे बड़े भाई हैदराबाद में फंसे हुए हैं, जबकि मैं बेंगलुरु में फंसा हुआ हूं. हम दोनों अभी पिछले डेढ़ महीने से बेरोजगार हैं.’’

शैलेश ने यह भी कहा, ‘‘जिस महाजन से उसके माता-पिता ने 40,000 रुपये का कर्ज लिया था वह भी पिछले एक हफ्ते से पैसे वापस करने के लिये उन्हें परेशान कर रहा है.’’

सुब्रमण्यपुरा के पास झुग्गी बस्ती में फंसे कुछ प्रवासी कामगारों ने बताया कि उनके पास अब किराना वस्तुएं खरीदने के लिए भी पैसे नहीं बचे हैं.

एक दमघोंटू और छोटे से कमरे में रह रहे 14 मजदूरों ने कहा कि दो वक्त के भोजन की व्यवस्था कर पाना आजकल एक बड़ी चुनौती बन गई है.

उन्होंने कहा, ‘‘हमें खिचड़ी मिल रही है, लेकिन कब तक कोई आदमी सिर्फ इसे खाकर रह सकता है.’’


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