विभागवार आरक्षण पर केंद्र की पुर्नविचार याचिका खारिज


we are not a trial court can not assume jurisdiction for every flare up in country

 

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार 27 फरवरी को केंद्रीय विश्वविद्यालयों में आरक्षित पदों की गणना संस्थानवार करने के बजाए विभागवार करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्णय पर केंद्र द्वारा दायर पुर्नविचार याचिका को खारिज कर दिया.

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने देश के केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षण विश्वविद्यालय में कुल सीटों की संख्या के आधार पर नहीं, बल्कि विभाग के आधार पर देने का निर्णय सुनाया था. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फैसले पर अपनी मुहर लगाई थी.

पुर्नविचार याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र फैसले की फिर से समीक्षा करने का कोई ठोस कारण नहीं दे पाया. कोर्ट ने कहा, “हमने याचिकाओं को पढ़ा है और हम फैसले में कोई गलती नहीं पाते हैं, याचिका को खारिज कर दिया गया है.”

शिक्षाविदों और विशेषज्ञों ने कहा है कि कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र नई आरक्षण व्यवस्था को लागू करने के लिए अध्याधेश लाएगा.

जस्टिस यूयू ललित और इंदिरा बनर्जी की एक डिवीजन बेंच ने 13 प्वाइंट रोस्टर पर फैसला दिया था.

जानकारों का मानना है कि 13 प्वाइंट रोस्टर प्रणाली के जरिए विभागवार आरक्षण से ओबीसी, दलितों और आदिवासी लोगों जैसे सामाजिक रूप से वंचित वर्गों के शिक्षकों के आनुपातिक प्रतिनिधित्व को कम हो जाएगा.

मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावेड़कर ने इस महीने के शुरुआत में लोकसभा को आश्वासन दिया था कि अगर पुनर्विचार याचिका खारिज होती है तो हम अध्यादेश लाएंगे.


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