रोजगार देने में 11 बड़े राज्य राष्ट्रीय औसत से पीछे


11 big states have recorded lower growth rate in employment

 

क्रिसिल ने अपने रिपोर्ट में कहा है कि वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान वैसे राज्य जिनका जीडीपी वृद्धि दर देश की जीडीपी वृद्धि दर के मुकाबले ज्यादा रहा है रोजगार सृजन में पीछे रहल गए हैं.

इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इन राज्यों की जीडीपी में वृद्धि की वजह ऐसे क्षेत्र रहे हैं जिनमें रोजगार के अवसर कम होते हैं.

क्रिसिल विशलेषण से जुड़ी एक कंपनी है जो रेटिंग, रिसर्च, रिस्क और नीति सलाहकार जैसे क्षेत्रों में काम करती है.

क्रिसिल की यह रिपोर्ट ऐसे समय में आयी है जब सेंटर फोर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी(सीएमआईई) ने 2018 में ही 1.10 करोड़ नौकरियां खत्म होने की बात कही है. सीएमआईई ने इसके लिए नोटबंदी और जीएसटी को जिम्मेदार ठहराया था.

सीएमआईई के आंकड़ों से यह भी मालूम पड़ता है कि दिसंबर 2018 में बेरोजगारी दर 7.4 फीसदी रही थी जो पिछले 15 महीने में सबसे ज्यादा रही है.

इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि ‘‘ज्यादातर राज्यों में आर्थिक वृद्धि रोजगार सृजन के अनुकूल नहीं रही है. 11 राज्यों में रोजगार सृजन राष्ट्रीय दर से कम रहे हैं. इन राज्यों में विनिर्माण, निर्माण, व्यापार, होटल, परिवहन और संचार सेवाओं जैसे क्षेत्रों में रोजगार की वृद्धि राष्ट्रीय दर की तुलना में कम रही है. ’’

रिपोर्ट के अनुसार पिछले वित्त वर्ष में 12 राज्यों की आर्थिक वृद्धि दर राष्ट्रीय दर की तुलना में अधिक रही. क्रिसिल ने कहा कि इस दौरान कम आय वाले राज्यों और अधिक आय वाले राज्यों के बीच प्रति व्यक्ति आय की खाई चौड़ी हुई है.

गुजरात, बिहार और हरियाणा में रोजगार देने वाले क्षेत्रों की वृद्धि सबसे तेज रही. राजस्थान, झारखंड और मध्य प्रदेश में इनकी वृद्धि दर सबसे कम रही. राजस्थान, झारखंड और उत्तर प्रदेश पिछले तीन वर्ष में क्षमता विस्तार के अनुपात में सबसे ऊपर रहे. पर इन राज्यों में स्वास्थ्य, सिंचाई और शिक्षा जैसे क्षेत्रों पर ध्यान नहीं दिया गया.

गुजरात और कर्नाटक महंगाई दर, वृद्धि और राजकोषीय घाटे के मामले में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्य रहे. इस मामले में केरल और पंजाब का प्रदर्शन फिसड्डी रहा.


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