दो दशकों में बच्चों के बलात्कार की घटनाओं में चार गुना इजाफा


4 times increase in rapes against children in two decades

 

बच्चों के खिलाफ बीते दो दशकों में शारीरिक हिंसा लगातार बढ़ी है. एक हालिया रिपोर्ट बताती है कि बीते 20 वर्षों में बच्चों के खिलाफ शारीरिक हिंसा की घटनाएं पांच गुना तक बढ़ गई हैं.

‘चाइल्ड राइट इन इंडिया- एन अनफिनिश्ड एजेंडा’ रिपोर्ट के मुताबिक भारत में शिशु मृत्यु दर में गिरावट आई है, जबकि देश लिंगानुपात और शारीरिक हिंसा की घटनाओं में पिछड़ रहा है.

यह रिपोर्ट बच्चों के मुद्दों पर केंद्रीत छह संस्थाओं ने मिलकर प्रकाशित की है.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों का हवाला देते हुए रिपोर्ट में लिखा गया है कि साल 1994-2016 के बीच बच्चों के बलात्कार की घटनाओं में चार गुना बढ़ोतरी हुई है. 1994 में 3,986 बच्चों के बलात्कार हुए, जबकि साल 2016 में 16,863 बच्चों के बलात्कार हुए.

रिपोर्ट बच्चों में कुपोषण, बच्चों के खिलाफ अपराध और शिक्षा जैसे तीन अहम मुद्दों पर केन्द्रित है.

साथ ही बच्चों से जुड़े चार ऐसे मुद्दों को भी रेखांकित करती है जिन पर कम ध्यान दिया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक सेक्सुअल रिप्रोडक्टिव हेल्थ, खेल, रचनात्मक गतिविधियों तक पहुंच, परिवार और समुदाय के स्तर पर सुरक्षा, परिवारिक और सामुदायिक स्तर पर फैसलों में बच्चों की भागीदारी पर काम करने की जरूरत है.

रिपोर्ट कहती है कि बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराध की रिपोर्टिंग में इजाफा हुआ है, हालांकि जानकारों और लोगों के अनुभवों से इस बात को भी रेखांकित किया गया है कि कम उम्र के बच्चों के खिलाफ हिंसा लगातार बढ़ी है.

आगे बढ़ते समाज के साथ लिंगानुपात में भी समानता आनी चाहिए थी, लेकिन 2011 के आंकड़ों के मुताबिक बच्चों के लिंगानुपात में गिरावट दर्ज की गई है. बच्चों का लिंगानुपात 927 (2001 जनगणना) से घटकर 919 (2011) रह गया. आंकड़ें बताते हैं कि कई राज्यों में बच्चों का लिंगानुपात घटा है.

रिपोर्ट में लिखा है,”लिंगानुपात में गिरावट और लड़कियों के खिलाफ बलात्कार की घटनाओं में बढ़ोत्तरी, दो ऐसी घटनाएं हैं जो लगातार महिलाओं की स्थिति में आ रही गिरावट का संकेत देती है. सभी राज्यों में सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए महिलाओं के घूमने आदि पर रोक-टोक लगाई जा रही है. जबकि लड़के इससे प्रभावित नहीं हुए हैं.”

हालांकि भारत ने शिशु मृत्यु दर के क्षेत्र में काफी सुधार किया है. अब तक के इतिहास में भारत पहली बार पांच वर्ष से कम उम्र में मृत्यु के वैश्विक औसत तक पहुंचा है. भारत में फिलहाल पांच वर्ष से कम उम्र में प्रति 1000 हजार बच्चों पर 39 बच्चों की मौत होती है.

शिशु मृत्यु दर में भी गिरावट दर्ज की गई है. साल 1992-93 (NFHS-1) में यह प्रति हजार पर 79 था जो साल 2015-16 (NFHS-4) में घटकर 41 रह गया. रिपोर्ट में इस बात को भी रेखांकित किया गया है कि प्राथमिक शिक्षा में बच्चों के सार्वभौमिक नामांकन में बढ़ोत्तरी हुई है. 2011 के पिछले दशक में 7-14 वर्ष के बच्चों में साक्षरता दर 64 फीसदी से बढ़कर 88 फीसदी हो गई.


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