मॉब लिंचिंग पर पीएम को खुला पत्र लिखने के जवाब में 61 हस्तियों ने जारी किया बयान


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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे खुले पत्र को 61 प्रभावशाली व्यक्तियों ने ‘चुनिंदा आक्रोश और झूठ का पुलिंदा’ बताते हुए ‘आश्चर्य’ व्यक्त किया है. 23 जुलाई को 49 प्रभावशाली व्यक्तियों ने खुले पत्र में अल्पसंख्यकों के खिलाफ मॉब लिंचिंग की घटनाओं में वृद्धि का आरोप लगाया था.

जवाबी पत्र लिखनेवालों में कलाकार कंगना रनौत, गीतकार प्रसून जोशी, क्लासिकल डांसर और सांसद सोनल मानसिंह, वादक पंडित विश्व मोहन भट्ट, फिल्म निर्माता मधुर भंडारकर और विवेक अग्निहोत्री सहित 61 प्रभावशाली हस्तियां शामिल हैं.

इन महत्वपूर्ण हस्तियों ने संयुक्त बयान में प्रधानमंत्री को 23 जून को लिखे खुले पत्र को ‘साजिश’ और देश को बदनाम करने की कोशिश बताया है.

61 हस्तियों ने एक बयान में कहा है कि 23 जुलाई को ‘कुछ स्वयंभू संरक्षकों और विवेकपूर्ण लोगों’ ने चुनिंदा बातों पर चिंता व्यक्त की और उन्होंने ‘स्पष्ट रूप से राजनीतिक रूप से पक्षपातपूर्ण रवैया और मकसद’ दिखाया.

बयान दिया, ‘‘ उसका (23 जुलाई को लिखे पत्र का) मकसद भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को धूमिल करना और भारतीयता का मूल समझे जाने वाले सकारात्मक राष्ट्रवाद एवं मानवतावाद की नींव पर शासन करने के प्रधानमंत्री के अथक प्रयास को नकारात्मक रूप से पेश करना है.’’

संयुक्त रूप से कहा, ‘‘एक राष्ट्र और लोगों के रूप में हमारी सामूहिक कार्यप्रणाली के लोकतांत्रिक स्वभाव एवं मानदंडों को बदनाम करने के इरादे से एक झूठे किस्से का प्रचार करने का प्रयास था.’’

23 जुलाई को फिल्मकार मणि रत्नम, अनुराग कश्यप, श्याम बेनेगल, अपर्णा सेन, गायिका शुभा मुद्गल, इतिहासकार रामचंद्र गुहा सहित 49 हस्तियों ने पत्र लिखकर ‘‘धर्म के आधार पर घृणा अपराधों’’ को लेकर चिंता व्यक्त की थी. इसमें ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने को लेकर हो रही घटनाओं का भी जिक्र किया गया था.

61 लोगों के हस्ताक्षर वाले जारी बयान में 23 जुलाई को पत्र लिखने वालों से सवाल किया गया कि वे तब खामोश क्यों थे, ‘‘ जब हाशिए पर खिसक गए लोग और जनजातीय लोग नक्सलियों के शिकार हुए.’’

बयान में कहा गया, ‘‘ वे तब खामोश रहे जब अलगाववादियों ने कश्मीर में स्कूलों को आग के हवाले करने का फरमान जारी किया, वे तब खामोश रहे, जब भारत के टुकड़े-टुकड़े करने की मांग की गई, वे तब खामोश रहे जब आतंकवादियों एवं आतंकवादी समूहों के नारे देश के कुछ बड़े विश्वविद्यालयों में गूंजे थे.’’

इन 61 लोगों में शांतिनिकेतन में विश्व भारती के देवाशीष भट्टाचार्य, अवध विश्वविद्यालय के कुलपति मनोज दीक्षित, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन के अनिर्बान गांगुली और साथ ही सांसद स्वप्न दासगुप्ता और कलाकार बिस्वजीत चटर्जी जैसी तमाम बड़ी हस्तियां शामिल हैं.


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