बीते तीन साल में 88 सफाई कर्मियों की सेप्टिक टैंक में उतरने से हुई मौत


88 manual scavenging deaths reported in 3 years

 

सेप्टिक टैंक में दम घुटने से बीते तीन सालों में 88 लोगों की मौत हो गई. 88 में से 52 मामलों में अब तक मुआवजा नहीं दिया गया है.

सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक 1993 के बाद सेप्टिक टैंक अब तक 620 लोगों ने अपनी जान गंवा दी. लोकसभा में सांसद असदुद्दीन ओवैसी और सैयद इम्तियाज जलील के सवाल के जवाब में सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण मंत्री रामदास अट्ठावले ने ये आंकड़ें रखे.

उन्होंने बताया कि इसमें से कुल 445 मामलों में मुआवजे दिए गए हैं. वहीं 58 मामलों में मुआवजे की आंशिक राशि दी गई जबकि 117 मामले लंबित हैं. 15 राज्यों की ओर से मंत्रालयों को बताए गए आंकड़ों के मुताबिक, सेप्टिक टैंक में सफाई के दौरान तमिलनाडु में 144 सफाईकर्मियों और गुजरात में 131 सफाईकर्मियों की मौत हुई.

2017, 2018 और 14 जुलाई 2019 तक सेप्टिक टैंक में दम घटने से कुल 88 सफाईकर्मियों की मौत हो गई. उन्होंने बताया कि 88 में से 52 मामलों में अब तक मुआवजा नहीं दिया गया है.

सांसदों ने सवाल उठाया कि क्या सरकार ‘मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार का निषेध और उनके पुनर्वास अधिनियम 2013’ में संशोधन करने पर विचार कर रही है, ताकि राज्यों के लिए इन मामलों संज्ञान लेना अनिवार्य बनाया जाए.

इसके जवाब में अट्ठावले ने बताया कि अधिनियम के तहत इस कार्य के लिए विभिन्न स्तरों पर निगरानी समितियों का गठन किया गया है. ऐसे में अधिनियम में संशोधन की आवश्यता नहीं है.

एक अधिकारी ने 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के संबंध में बताया कि कई राज्यों ने इस बारे में आंकड़े नहीं दिए है और कुछ राज्यों ने सेप्टिक टैंक में किसी भी सफाई कर्मी की मौत से इनकार किया है.

ऐसे में सेप्टिक टैंक में मरने वाले सफाई कर्मियों का आंकड़ा और अधिक होने की संभावना है. 27 मार्च, 2014 के आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया था कि 1993 के बाद सीवेज का काम करने के दौरान हुई मौतों का ब्यौरा रखे और प्रत्येक मृत व्यक्ति के परिवार को 10 लाख रुपये मुआवजे दे.

सांसद विष्णु दयाल राम के एक अन्य सवाल के जवाब में मंत्री ने लोकसभा को बताया कि 6 दिसंबर 2013 से 30 जून 2019 के बीच 53,598 लोगों की सफाई कर्मियों के तौर पर पहचान की गई है. हालांकि अधिनियम के मुताबिक कोई भी व्यक्ति सीवेज या सेप्टिक टैंक की सफाई के लिए मजदूरों को नौकरी पर नहीं रख सकता है.

मंत्री के मुताबिक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इन मामलों में किसी भी व्यक्ति के दोषी नहीं ठहराया गया है.


Big News