रहाफ पर हुए जुल्म में हम सब अपराधी हैं


ahaf Mohammed Motlaq al-Qunun ran away from her family because of physical and psychological abuse

 

एक तरफ पूरी दुनिया में औरतें अपने हक की लड़ाई का परचम थामे हुए हैं. वहीं ऐसी ताकतें भी हैं जो उनके वजूद को एक दायरे में कैद कर देना चाहती हैं. उनके खिलाफ साजिशें होती हैं जिनमें यह समाज भी अपनी मौजूदगी भरपूर दर्ज कराता है.

सदियों से औरतों को एक चाहरदिवारी में कैद कर दिए जाने की साजिशों पर जनता के कवि गोरख पाण्डे ने अपनी कविता में पूरी मानवता को ही अपराधी घोषित कर दिया है.

घर-घर में दिवारें हैं/ दिवारों में बंद खिड़कियां है/ बंद खिड़कियों से टकराकर अपना सर/ लहूलुहान गिर पड़ी है वह/ गिरती है आधी दुनिया/ सारी मनुष्यता गिरती है/ हम जो जिंदा है/ हम सब अपराधी है/ हम दंडित है

यूं तो औरतों के खिलाफ ऐसी साजिशें और उन पर होने जुल्म पूरी दुनिया में हावी है, लेकिन अरबी मुल्कों में यह अपनी इंतिहा पर हैं. यहां की जमीन पर उन्हें उनकी आजाद ज़िन्दगी मयस्सर नहीं होती है. अगर कभी कोई इसकी चाह में अपनी आवाज बुलंद करता है तो उसकी आवाज को पूरी ताकत के साथ घोंट दिया जाता है.

रहाफ मोहम्मद अल क्यूनन 18 साल की एक ऐसी ही लड़की हैं. रहाफ अल क्यूनन का सऊदी अरब की निवासी हैं. रहाफ पर बंदिशें बिल्कुल उसी शक्ल में होती हैं जैसी एक आम सऊदी लड़की पर होती हैं. घर वालों को उसका अपनी मर्जी से जीना मंजूर नहीं होता और रहाफ को ये बंदिशें काट खाने को दौड़ती. वो बगावत समझती हैं और उस तेवर में जीना भी.

रहाफ इन सबसे निकल कर आजाद जिंदगी जीना चाहती हैं. वो खुलकर सांस लेना चाहती हैं. पुरातन मुल्यों को फेंक कर आधुनिक हो जाना चाहती हैं. वो जिन्दगी भर महज एक पर्दानशीं औरत बन कर रहना नहीं चाहतीं. उनकी अपनी ख्वाहिशें हैं जिसे वो हकीकत में बदल देना चाहती हैं. और एक दिन इस कोशिश में वो अपना बाल कटवा लेती हैं जिसे वहां का समाज माफ ना करने लायक हिमाकत समझता है. उनकी नजरों में रहाफ किसी जुल्म को अंजाम दे रही होती हैं, जिसे रोकना और सजा देना उनके लिए एकदम जरूरी होता है.

रहाफ को इसकी सजा मिलती है. उनको पूरे छह महीनों के लिए घर की दीवारों में कैद कर दिया जाता है. वो तब पूरी ताकत से चीखती हैं, चिल्लाती हैं लेकिन कोई नहीं सुनने वाला होता है. किसी भी मानव अधिकार से जुड़े संगढन की उस देश में पहुंच नहीं है कि वो रहाफ को जुल्म की कोठरी से निकाल सके.

एक दिन रहाफ भाग जाती हैं. अपने घर से, समाज से जो उनका ख़्वाब चुरा ले जाना चाहता है. इसी फिराक में वह जा पहुंचती हैं बैंकॉक हवाई अड्डे पर. वह ऑस्ट्रेलिया जाना चाहती हैं, लेकिन उनको सऊदी और कुवैत के अधिकारी रोक लेते हैं. उनके कागजात जब्त कर लिए जाते हैं. ये अधिकारी उन्हें वापस भेजने की तैयारी में हैं. लेकिन वह जाना नहीं चाहती.

रहाफ ने हवाई अड्डे पर मीडिया से बात करते हुए कहा है कि, “वो उस माहौल में दोबारा लौटना नहीं चाहती हैं. वहां उनकी जान को खतरा है. उन्हें जेल से निकलने के बाद कत्ल कर दिया जा सकता है.”

रहाफ ने बगावती तेवर में यह भी कहा कि वह इसलिए भाग आई कि उनके घर वाले बगैर उनकी मर्जी के उनकी शादी कर देना चाहते हैं. वो उनके साथ एक कैदी की तरह बर्ताव करते हैं. मानसिक और शारीरिक यातनाओं से उनको हर रोज गुजरना होता है. रहाफ की इन बातों को मानव अधिकार संगठन ह्यूमन राईट्स वॉच ने भी अपनी सहमति दी है.

सऊदी अरब के कानून के मुताबिक बगैर परिवार वालों की मर्जी के घर से भागना जुर्म माना जाता है. रहाफ के घर वालों ने भी इसी का फायदा उठाते हुए उनके भागने की रिपोर्ट एयरलायंस से की थी. और अब उनको यहां नजरबंद किया गया है. उनके पास ना एक पैसा है ना ही उनका पासपोर्ट ही. वो बस मीडिया के हवाले से पूरी दुनिया से गुहार लगा रही हैं.

बकौल रहाफ, “अब मैं इस्लाम को नहीं मानती हूं. 16 की उम्र में ही मैंने धर्म बदल दिया था. अगर घर वाले यह सब जान गए तो कत्ल कर देंगे. मेरे पास ऑस्ट्रेलिया का वीजा है और मैं वहीं जाना चाह रही थी, लेकिन सऊदी अधिकारियों ने रोक लिया.”

मानवाधिकार वकील नदथसिरी बर्गमैन ने उसकी वापसी को रोकने के लिए बैंकॉक की एक अदालत में आवेदन दायर किया था, लेकिन वो खारिज कर दिया गया है. अदालत का कहना है कि रहाफ के पास उन सबूतों की कमी है जिससे यह फैसला लिया जा सके कि उनके वापस लौटने पर उनकी जान को खतरा है.

रहाफ अब डरी हुई हैं, उनकी उम्मीद खत्म हो रही है. ऐसे में रहाफ ने मदद के लिए अपने ट्विटर अकाउंट का सहारा लिया है. उनके लिखने और वीडियो शेयर करने के बाद अब उनकी कहानी दुनिया भर की मीडिया में फैल चुकी है.

आलोक धन्वा अपनी कविता में भागी हुई लड़कियों की दास्तान लिखते हैं. वो कहते हैं. घर की जंजीरे/ कितना ज्यादा दिखाई पड़ती है/ जब घर से कोई लड़की भागती है/ और वे तमाम गाने रजतपरदों पर दीवानगी के/ आज अपने ही घर में सच निकले/

रहाफ भाग चुकी है. आलोक धन्वा की कविता में भागी हुई दूसरी लड़कियों की तरह. ठीक वैसे ही जैसे हर लड़की भाग जाना चाहती है. अपने मेज पर एक ख़त लिख कर. उन बेरहम कहानियों को लिख कर जो मन में जहर की तरह रिसती है.


Big News