वायु सेना ने नए उपकरणों की खरीद के लिए 40 हजार करोड़ रुपये की मांग की


air force demands 40000 crore more to acquire new equipment

 

भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के नवीनीकरण के लिए सरकार की ओर से सेना को पर्याप्त धन राशि मुहैया नहीं कराई गई है. जिसके चलते आईएएफ ने सरकार से नए उपकरणों की खरीद और पहले की बकाया राशि को चुकाने के लिए उपलब्ध कराए गए बजट में अतिरिक्त 40 हजार करोड़ रुपये की मांग की है.

इस साल के बजट में आईएएफ को पूंजी व्यय के लिए 39,300 करोड़ रुपये की राशि दी गई, जो सेना की क्षमता में जरूरी विकास के लिए पूरी नहीं पड़ रही है. ऐसे में नवीनीकरण के लिए पूंजी संकट को टालना है तो आईएएफ को 40,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त राशि की जरूरत है.

नाम ना बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि ‘सेना को जरूरत से बहुत कम राशि मुहैया कराई गई है. हमने सरकार से अतिरिक्त राशि की मांग की है.’

जानकारी है कि सरकार इस साल दिसंबर में संशोधित अनुमान के चरण के दौरान आईएएफ की मांग पर गौर करेगी.

आईएएफ की खरीद सूची में 114 नए मध्यम वजन के लड़ाकू विमान, 83 हल्के लड़ाकू विमान, मिग-29 और सुखोई-30 के 33 लड़ाकू विमान, सिक्स एरियल रिफ्यूलिंग प्लेन, 56 नए मध्यम परिवहन एयरक्राफ्ट और 70 बेसिक ट्रेनर एयरक्राफ्ट शामिल है.

अधिकारी ने बताया कि आईएएफ को नई खरीदारी के अलावा पहले के कॉन्ट्रैक्ट पर बची हुई 48,000 करोड़ रुपये की राशि भी चुकानी है. आईएएफ इनके लिए पहले कॉन्ट्रैक्ट किया था.

भारत को 36 राफेल लड़ाकू विमान के लिए फ्रांस को, पांच एस -400 ट्रायम्फ वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली के लिए रूस को और 22 अपाचे एएच -64 ई लड़ाकू हेलीकॉप्टर और चीएच-47एफ चिनूक हेवी-लिफ्ट हेलीकॉप्टर के लिए अमेरिका को भुगतान करना है.

सैन्य मामलों के जानकार एक विशेषज्ञ ने कहा, ‘आईएएफ की ओर से अतिरिक्त 40,000 करोड़ रुपये की मांग बिलकुल जायज है. सेना के नवीनीकरण और पाकिस्तान और चीन से लगती सीमाओं पर कठिन परिस्थितियों से निपटने के लिए ये बेहद जरूरी है.’

सेवानिवृत्त एयर मार्शल और सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज के अध्यक्ष केके नोहवार ने कहा, ‘राशि तो कभी भी पर्याप्त नहीं होती है. देय राशि में ही बजट में मुहैया कराई गई राशि का एक बड़ा हिस्सा चला जाता है. ऐसे में नई योजनाओं के लिए बहुत कम पैसा रह जाता है. सेनाओं का स्तर एक साथ लाना बहुत जरूरी है.’

विशेषज्ञों का कहना है कि पूर्वी और पश्चिमी छोर पर सीमाओं की सुरक्षा के लिए आईएएफ का नवीनीकरण जरूरी है.

मार्च 2016 में एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ (उस समय उप प्रमुख) ने स्वीकारा था कि चीन और पाकिस्तान के खिलाफ दोनों छोर पर युद्ध करने के लिए भारत के पास लड़ाकू विमानों की पर्याप्त संख्या नहीं है.

विशेषज्ञों ने बताया, ‘बीते तीन वर्षों में आईएएफ ने नए उपकरण खरीदे हैं, लेकिन अब भी जरूरी उपकरणों की कमी बनी हुई है. बीते वर्षों में आईएएफ के दस्ते में शामिल लड़ाकू विमानों की संख्या कम हुई है. ये फिलहाल 31 है जबकि 42 की जरूरत है. जिस कमी को पूरा करने के लिए फिलहाल वायु सेना जूझ रही है.’

इस बारे में समय-समय पर संसदीय पैनल भी सवाल उठाता रहा है.

2019-20 बजट में रक्षा खर्च के लिए 3.18 लाख करोड़ रुपये मुहैया कराए गए हैं. फिलहाल भारत रक्षा पर जीडीपी का 1.5 फीसदी खर्च करता है. यह बीते एक दशक में सबसे कम है. विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को अपने सैन्य ताकत को मजबूत करने के लिए रक्षा पर जीडीपी का 3 फीसदी खर्च करना होगा.


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