हिंसा की धमकियों के बीच जॉर्जिया में पहली एलजीबीटी परेड की तैयारी
जॉर्जिया में सामाजिक कार्यकर्ता देश की पहली एलजीबीटी परेड की तैयारी कर रहे हैं. जब वो ऐसा कर रहे हैं, तब उनके मन में छह साल पहले की हिंसा के दृश्य भी चल रहे हैं. छह साल पहले धुर-दक्षिणपंथियों और पादरियों ने उन्हें बेरहमी से मारा था.
हालांकि, इस बार भी स्थिति कोई सामान्य नहीं हैं. ईसाई कार्यकर्ताओं ने एलजीबीटी परेड निकालने वालों को परिणान भुगतने की धमकी दी है और पुलिस ने कह दिया है कि वो उनकी सुरक्षा की गारंटी नहीं ले सकती है. एलजीबीटी कार्यकर्ताओं को डर है कि इस बार भी उन्हें 2013 की तरह हिंसा का सामना ना करना पड़े.
एलजीबीटी सामाजिक कार्यकर्ता जियोर्जी तबागिरी कहते हैं कि वे हिंसा के डर से छुप नहीं सकते हैं, उन्हें कभी ना कभी तो बाहर तो आना ही पड़ेगा, किसी ना किसी को तयशुदा ढर्रों को तोड़ना ही होगा.
जॉर्जिया की मुख्य चर्च को पोल्स के अनुसार देश के सबसे विश्वसनीय संस्थान का दर्जा मिला हुआ है. चर्च के पास असीमित शक्तियां हैं और उसकी हर संभव कोशिश रहती है कि जॉर्जिया का समाज रूढ़िवादी ही बना रहे.
जॉर्जिया के एक सरकारी अधिकारी नाम ना बताने की शर्त पर चर्च के बारे में कहते हैं, “यह एक धर्मतंत्र हैं. चर्च के लोग नहीं चाहते हैं कि समाज में कुछ बदलाव हो. चर्च ने परेड को रोकने का आदेश दिया है. ”
परेड को लेकर तैयारियों ने पूरे देश में ज्वलंत बहस को जन्म दिया है. एलजीबीटी कार्यकर्ता इस समुदाय के लोगों के वीडियो जारी कर रहे हैं. इनमें दिखाया जा रहा है कि कैसे ये लोग पूरे समाज की हिकारत का शिकार हैं और इस वजह से उनका जीवन कितना कठिनाइयों भरा है. दूसरी तरफ कट्टरपंथी और रूढ़िवादी लोग समलैंगिकता को प्राकृतिक विकृति और पाप बताते हुए इन लोगों के सामाजिक बहिष्कार की बात कर रहे हैं.
सरकार की तरफ से एलजीबीटी कार्यकर्ताओं को चेतावनी दी जा रही है. इसके बाद भी उनके जोश में जरा सी भी कमी नहीं हैं.
वास्डाज नाम के एक एलजीबीटी सामाजिक कार्यकर्ता कहते हैं कि उन्होंने एक टीवी शो के दौरान सरकार को चेतावनी दी है कि किसी भी प्रकार की दमानात्मक कार्रवाई एक व्यापक नागरिक विद्रोह को जन्म दे सकती है.