‘अमित शाह को सोहराबुद्दीन फेक एनकाउंटर से हुआ आर्थिक फायदा’


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सोहराबुद्दीन शेख फेक एनकाउंटर केस (2005) से गुजरात के तत्कालीन गृह मंत्री अमित शाह और कई बड़े अधिकारियों को आर्थिक और राजनैतिक लाभ हुए. पूर्व सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस, सीबीआई और केस में प्रमुख जांच अधिकारी रहे अमिताभ ठाकुर ने 19 नवंबर को सीबीआई की एक अदालत में गवाही देते हुए यह बात कही.

द हिंदू अखबार के मुताबिक अमिताभ ने अपनी गवाही में अमित शाह के साथ कई बड़े अधिकारियों को इस केस से आर्थिक और राजनैतिक फायदे होने की बात कही. उन्होंने अपनी गवाही में कहा कि एटीएस (एंटी टेररिज्म स्क्वाड) के पूर्व डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल डीजी वंजारा, उदयपुर के पूर्व सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस दिनेश एम.एन, अहमदाबाद के पूर्व सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस राजकुमार पांडियन और अहमदाबाद के डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस अभय चूड़ास्मा को केस से राजनैतिक लाभ हुआ.

उन्होंने कहा कि अहमदाबाद के जाने माने बिल्डर पटेल ब्रदर्स ने अमित शाह को 70 लाख रुपए दिए. जिससे अमित शाह को लाखों का आर्थिक फायदा हुआ.

अमिताभ के अनुसार पटेल ब्रदर्स को धमकी दी गई थी कि अगर उन्होंने रुपए नहीं दिए तो उन्हें इसका नुकसान उठाना होगा. इसी तरह पटेल ब्रदर्श ने डी.जी. वनराज को भी 60 लाख रुपए दिए.

गवाही में यह बात सामने आई है कि केस में पुलिस ट्रायल का सामना कर रहे किसी भी अधिकारी को ‘आर्थिक या राजनैतिक लाभ नहीं हुए.’

अमिताभ की गवाही के मुताबिक केस में आरोपी व्यक्ति के पास सोहराबुद्दीन को मारने का कोई ठोस कारण नहीं था. केस में आरोपी रहे 20 लोगों ने अपने ऊपर रहे डीजी वंजारा, दिनेश एम.एन, राजकुमार पांडियन और अभय चूड़ास्मा के इशारों पर काम किया और बाद में उन्हें इस केस से बरी कर दिया गया.

अमिताभ ने यह भी साफ किया कि सीबीआई डायरेक्टर अश्विनी कुमार ने उन्हें इस केस में 22 लोगों को फंसाने के लिए नहीं कहा था. उन्होंने यह भी खारीज किया कि उनके सीनियर रहे डीआईजी पी कांतास्वामी ने अपने राजनैतिक फायदे के लिए केस में 20 लोगों को फंसाने के लिए कहा था.

गवाही में कुछ और जरुरी बाते कही गई जैसे सोहराबुद्दीन की बॉडी के पास पाए गए 92 नोटों को लेकर कोई जांच नहीं की गई. इस बारे में किसी भी तरह के तथ्य मौजूद नहीं है.

केस में आरोपी रहे एटीएस के पूर्व पुलिस सब-इंस्पेक्टर बालकृष्ण के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले जिसके आधार पर चार्जशीट फाइल की जा सके. अमिताभ ने शोराबुद्दीन के भाई रुबाबुद्दीन की गवाही को भी खारिज किया. जिसमें रुबाबुद्दीन ने कहा था कि उनके भाई के शरीर पर आठ गोलियां चलाई गई थी, पर शरीर पर केवल एक ही गोली पाई गई.

अमिताभ के मुताबिक इस फेक एनकाउंटर केस में कोई भी चश्मदीद गवाह मौजूद नहीं है. उन्होंने कहा कि सोहराबुद्दीन का मर्डर अहमदाबाद के दिशा फार्म्स में नहीं हुआ.


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