मानवाधिकारों के पश्चिमी मानकों को भारत में लागू नहीं करें: शाह
अमित शाह ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के 26वें स्थापना दिवस पर कहा कि मानवाधिकारों के पश्चिमी मानकों को भारतीय मुद्दों पर आंख मूंदकर लागू नहीं किया जा सकता है.
गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि भारत की मानवाधिकार नीति में उग्रवादियों या माओवादियों द्वारा मारे गए नागरिकों के अधिकारों पर उतना ही ध्यान केंद्रित करना चाहिए जितना पुलिस अत्याचार और हिरासत में होने वाली मौतों पर होता है.
शाह ने कहा, ‘कश्मीर में नक्सलियों या आतंकवादियों से प्रभावित हुए लोगों के मुकाबले मानवाधिकारों से कोई बड़ा उल्लंघन नहीं है. हमें इन मुद्दों को एक भारतीय दृष्टिकोण के साथ देखना चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘महिलाओं को शौचालय और खाना पकाने के सुरक्षित तरीकों तक पहुंच नहीं होना एक मानवाधिकार मुद्दा है. मोदी सरकार ने इन स्थितियों से लाखों लोगों के उत्थान को सुनिश्चित किया है.
शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत एक ऐसे परिदृश्य की ओर बढ़ रहा है जहां मानव अधिकारों का उल्लंघन नहीं होगा.
उन्होंने कहा, ‘भारत में मानव अधिकारों का एक अंतर्निर्मित ढांचा है. हमारे पारिवारिक मूल्यों में महिलाओं और बच्चों की विशेष सुरक्षा है और गांव के लोग गरीबों का ख्याल रखते हैं. वे इसे अपने धर्म का हिस्सा मानने हैं.’
एनएचआरसी के चेयरपर्सन और भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू ने कहा कि सरकार ने अपने जनादेश को पूरा करने में आयोग का समर्थन किया है. उन्होंने कहा, ‘गृह मंत्री की उपस्थिति एनएचआरसी को प्रोत्साहित करने का एक जरिया है.’
दत्तू ने कहा कि एनएचआरसी ने बंधुआ मजदूरी और हिरासत में हुई मौतों से संबंधित मुद्दों को उठाकर अपने जनादेश को पूरा किया है.
आयोग के अनुसार, 2018-19 में कानूनी मामलों के शिकायतों में काफी कमी आई है और केवल 2017 के बाद दर्ज किए गए मामले वर्तमान में लंबित हैं. आयोग ने कहा है कि एनएचआरसी ने 691 मामलों की सुनवाई की और फैसला किया और 25.38 करोड़ रुपये का मुआवजा दिया है.
दत्तू ने वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी प्रभात सिंह एनएचआरसी के महानिदेशक (जांच) को लंबित मामलों में कमी लाने का श्रेय दिया. उन्हें जनवरी में नियुक्त किया गया था.