आर्मी जवान औरंगजेब की हत्या के मामले में राष्ट्रीय राइफल्स के जवान हिरासत में
पिछले साल जून में आर्मी जवान औरंगजेब की अपहरण के बाद हत्या करने के मामले में आर्मी 44 राष्ट्रीय राइफल्स के तीन सैन्यकर्मियों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक सूत्रों की मानें तो इन तीनों सैन्यकर्मियों पर औरंगजेब की हत्या में शामिल होने का आरोप है. सूत्रों का कहना है कि इन तीनों सैन्यकर्मियों पर औरंगजेब के बारे में उग्रवादियों के लिए मुखबरी करने का शक है.
हिरासत में लिए गए तीनों सैन्यकर्मियों के नाम आबिद वानी, तजामुल अहमद और आदिल वानी हैं. इनमें से दो सैन्यकर्मी पुलवामा और एक कुलगाम जिले से है. इन तीनों पर आरोप है कि पिछले साल जून में जब औरंगजेब छुट्टी लेकर अपने घर गया तो इन तीनों सैन्यकर्मियों ने उग्रवादियों को उसके बारे में जानकारी दी. सूत्रों का कहना है कि औरंगजेब की हत्या के बाद शुरू हुई जांच में इन तीनों सैन्यकर्मियों का नाम सामने आया.
पिछले साल जून में 44 राष्ट्रीय राइफल्स के जवान औरंगजेब को छुट्टी पर घर जाते समय पुलवामा और शोपियां के बीच एक स्थान कलमपोरा के पास उग्रवादियों ने अगवा कर लिया था. अगले दिन कलमपोरा से करीब 15 किलोमीटर दूर गुस्सू गांव में औरंगजेब का गोलियों से छलनी शव मिला था. औरंगजेब के सीने और गले के पास कई गोलियां मारी गई थीं.
औरंगजेब की हत्या के बाद पूरा देश आक्रोशित हो गया था. पिछले साल स्वतंत्रता दिवस पर औरंगजेब को मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था. वहीं दो दिन पहले औरंगजेब के पिता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में बीजेपी की सदस्यता ली है. बताया जा रहा है कि आर्मी के जवानों द्वारा उग्रवादियों के लिए मुखबरी करने का यह पहला मामला है.
इन तीनों सैन्यकर्मियों की गिरफ्तारी का मामला तब सामने आया जब गिरफ्तार हुए एक सैनिक आबिद वानी के 27 वर्षीय भाई तौसीफ अहमद को सोमवार को घायल अवस्था में पुलवामा के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया.
अहमद के परिवार वालों का कहना है कि अहमद को 44 राष्ट्रीय राइफल्स के पुलवामा कैंप में पूछताछ के लिए बुलाया गया था, जहां उसकी बुरी तरह से पिटाई की गई थी. पिटाई के बाद जब अहमद कैंप के बाहर निकला तब एक स्थानीय निवासी द्वारा उसे पुलवामा के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया.
बाद में घायल अवस्था में ही उसे श्रीनगर के महाराजा हरि सिंह अस्पताल में आगे के इलाज के लिए भेज दिया गया. पुलवामा जिला अस्पताल के डॉक्टरों की मानें तो अहमद के पूरे शरीर पर चोटों के निशान थे. हालांकि, अब अहमद की हालत स्थिर बताई जा रही है. अहमद की पिटाई के मामले में कर्नल राजेश कालिया का कहना है कि इस पूरे मामले में जानकारी इकट्ठा की जा रही है.
वहीं महबूबा मुफ्ती ने इस पूरे मामले को जम्मू-कश्मीर के गवर्नर और कॉर्प्स कमांडर को सामने रखने की बात कही है.