असम में देशद्रोह कानून बना सरकार का हथियार?


Asam sedition law becomes tool for BJP government

 

असम में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार साल 2016 में सत्ता में आने के बाद अब तक देशद्रोह के 245 मामले दर्ज कर चुकी है.

देशद्रोह के मामले में उसने ताजा गिरफ्तारियां नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में की हैं. उसने इस मामले में तीन लोगों के खिलाफ “देशद्रोह” का मामला दर्ज किया था.

असम विधानसभा में विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया के सवाल के जवाब में संसदीय कार्य मंत्री चंद्रमोहन पटोवरी ने बताया कि मई 2016 से देशद्रोह के कुल 251 मामले दर्ज किए जा चुके हैं.

देशद्रोह का कुल आंकड़ा 251 बताया गया है. लेकिन रिपोर्ट बताती है कि कुछ मामलों को दो बार दर्ज कर लिया गया था. इसलिए वास्तविक संख्या 245 है.

कांग्रेस नेता देबब्रत सैकिया ने पूछा था कि राज्य में साल 2016 से कितने लोगों के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया है. हालांकि इस सवाल के जवाब में राज्य सरकार ने यह विस्तार से नहीं बताया है कि किन धाराओं के तहत लोगों को गिरफ्तार किया गया है. न ही उस तारीख का कोई उल्लेख है जिसमें देशद्रोह के मामले दर्ज किए गए हैं. जवाब के मुताबिक़, अधिकांश मामले उग्रवादी संगठन उल्फा-1 से जुड़े सदस्यों और राज्य के विभिन्न जातीय समुदाय के लोगों के खिलाफ दर्ज किए गए हैं.

कोकराझार जिले में सबसे ज्यादा 88 देशद्रोह के मामले दर्ज किए गए हैं. वहां बोडो, कामतापुर लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन (केएलओ) और नेशनल संथाल लिबरेशन आर्मी (एनएसएलए) और उन जैसे अन्य संगठनों से जुड़े उग्रवादियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.

इसके बाद चीरांग जिले में सबसे ज्यादा कुल 43 मामले दर्ज किए गए हैं. इनमें ज्यादा मामले बोडो के उग्रवादियों से जुड़े हैं.

ऊपरी असम के तिनसुकिया जिले में 40 मामले दर्ज किए गए हैं. जो ज्यादातर उल्फा-1 और कुछ नेशनल सोशलिस्ट कौंसिल ऑफ गालैंड-खापलांग(एनएससीएन-के) से जुड़े उग्रवादियों के खिलाफ हैं.

कोकराझार और चीरांग “बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र जिला” का हिस्सा हैं. जबकि तिनसुकिया में नब्बे के दशक में उग्रवादी गतिविधियों का विस्तार होना शुरू हुआ था.

गुवाहटी शहर में उस दौरान सिर्फ एक मामला दर्ज किया गया था.

जनवरी में असम के जाने-माने विद्वान डॉ. हिरेन गोहेन, कार्यकर्ता अखिल गोगोई और पत्रकार मंजीत महंता को बिल के खिलाफ एक विरोध प्रदर्शन के दौरान उनकी टिप्पणियों के लिए देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.

गोगोई के खिलाफ शिकायत लताशिल पुलिस स्टेशन के अधिकारी उपेन कलिता ने दर्ज की थी. उसमें कहा गया था कि गोगोई ने अपने भाषण में विधेयक की आलोचना की और “भारत से स्वतंत्र एक संप्रभु असम के लिए संघर्ष शुरू करने” की बात कही.

2017 में डिब्रूगढ़ जिले में कार्यकर्ता गोगोई के खिलाफ एक और देशद्रोह का मुकदमा दायर किया गया था. इस बार गोगोई को सितंबर 2017 में एक सार्वजनिक भाषण में लोगों को सरकार के खिलाफ हथियार उठाने के लिए उकसाने के लिए गिरफ्तार किया गया था.

गोगोई भाजपा और आरएसएस के घोर आलोचक हैं और विधेयक के खिलाफ चल रहे आंदोलन की अगुवाई करने वाले प्रमुख नेताओं में से एक हैं.

कांग्रेस के नेता सैकिया ने अखबार द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “देशद्रोह के कई वास्तविक मामले हो सकते हैं. हमें उससे कोई समस्या नहीं है. लेकिन डॉ. गोहेन या अखिल गोगोई जैसे लोगों को देशद्रोह के लिए गिरफ्तार करना भाजपा की अलोकतांत्रिक प्रथाओं को दर्शाता है. वे खुद तो आपातकाल के खिलाफ शिकायत करते हैं, लेकिन, वे खुद क्या कर रहे हैं? जो भी देशद्रोह के मामले पर सरकार की आलोचना करता है, उसको इस मामले में आरोपी बना देते हैं. ”

देशद्रोह के मामले में कछार में 19, गोलाघाट में 18 और दीमा हसाओ में 11 जिलों में मामले दर्ज किए गए हैं.

पिछले कुछ समय से देश में देशद्रोह के क़ानून में बदलाव करने की मांग हो रही है. कुछ ही दिन पहले कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल इस कानून को खत्म करने की मांग कर चुके हैं.


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