असम स्टूडेंट्स यूनियन ने नागरिकता संशोधन कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी


we are not a trial court can not assume jurisdiction for every flare up in country

 

ऑल असम स्टुडेंट्स यूनियन (आसू) ने संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. इसकी जानकारी आसू के प्रमुख सलाहकार समज्जुल भट्टाचार्य ने दी.

अनिश्चित कालीन कर्फ्यू के बीच गुवाहाटी में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए भट्टाचार्य ने असम के लोगों से कथित ”विश्वासघात” करने के लिए बीजेपी के शीर्ष नेताओं की निंदा की.

उन्होंने संसद से पारित होने के तुरंत बाद नागरिकता (संशोधन) कानून को 12 दिसंबर की रात मंजूरी देने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की भी आलोचना की. भट्टाचार्य ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया.

उन्होंने कहा, ”मुझे आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि हमने संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ आज याचिका दायर की है. हमारी कानूनी लड़ाई शुरू हो गई है और साथ-साथ चलेगी. हमारा शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन कानून के वापस लिए जाने तक जारी रहेगा.”

भट्टाचार्य ने कहा कि असम के लोग अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भरोसा नहीं करते क्योंकि उन्होंने अवैध बांग्लादेशियों का स्वागत कर विश्वासघात किया है.

उन्होंने कहा, ”मोदी ने 16 मई 2014 (जिस दिन लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित हुए) के बाद सभी घुसपैठियों को निर्वासित करने का वादा किया था. उन्होंने एक भी अवैध बांग्लादेशी को बाहर नहीं भेजा, इसके बदले अब वह उनका स्वागत कर रहे हैं.”

आसू के प्रमुख सलाहकार ने कहा, ”असम समझौता ‘राष्ट्रीय प्रतिबद्धता है जिसे संवैधानिक वैधता देने से पहले संसद में चर्चा हुई थी. कैसे आप (बीजेपी) नागरिकता (संशोधन) कानून लाकर इसे खारिज कर सकते हैं? समझौते का अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी जैसे नेताओं ने स्वागत किया था.”

उल्लेखनीय है कि आसू के आह्वान पर और शिल्पी समाज की ओर से आयोजित विरोध प्रदर्शन में हजारों लोग कर्फ्यू का उल्लंघन कर शामिल हुए.


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