लोकसभा चुनाव के बाद से घटता गया है बीजेपी का वोट प्रतिशत


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राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए अच्छी खबर बन कर आए हैं, क्योंकि भारत के मानचित्र पर चढ़ा भगवा रंग अब धीरे-धीरे सिकुड़ने लगा है.

गौर करने वाली बात यह है कि राजस्थान और मध्य प्रदेश में दो प्रमुख राजनीतिक पार्टियों कांग्रेस और बीजेपी के बीच का अंतर बेहद कम रहा है.

इन तीनों राज्यों में कांग्रेस और बीजेपी को मिले वोटों का विश्लेषण करें तो कुछ अहम बातें सामने आती हैं, जो 2019 में बीजेपी के लिए खतरा बन सकती हैं.

इन तीनों राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम बताते हैं कि 2014 से अब तक यहां बीजेपी ने अपने 61 लाख से ज्यादा वोटों को खो दिया है. वहीं कांग्रेस के वोट शेयर में 1 करोड़ 24 लाख से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

बीजेपी को राजस्थान में 73 सीटें मिली, वहीं कांग्रेस को 99 सीटों पर जीत हासिल हुई. मध्य प्रदेश की बात करें तो यहां बीजेपी को 109 सीटों से संतोष करना पड़ा. कांग्रेस यहां 114 सीटें हासिल करने में कामयाब रही.

2014 में हुए लोकसभा चुनावों में राजस्थान में बीजेपी को 55.61 फीसदी वोट मिले थे. जबकि अभी घोषित हुए विधानसभा चुनाव परिणामों में बीजेपी को 38.80 फीसदी वोट मिले. जो दिखाता है कि यहां 2014 से अब तक बीजेपी का वोट शेयर 16.81 फीसदी घट गया है.

मध्य प्रदेश में 2014 में 54.76 फीसदी वोटों के मुकाबले इस बार बीजेपी को केवल 41 फीसदी वोट ही मिले. जो इसके वोट शेयर में 13.76 फीसदी की गिरावट को दिखाता है.

वहीं छत्तीसगढ़ में बीजेपी के वोट शेयर में 16.66 फीसदी की गिरवट दर्ज की गई है.

2014 लोकसभा चुनावों से लेकर 2018 विधानसभा चुनावों तक कांग्रेस का वोट शेयर बढ़ा है. राजस्थान में 8.57 फीसदी, मध्य प्रदेश में 5.55 फीसदी और छत्तीसगढ़ में 3.91 फीसदी कांग्रेस का वोट शेयर बढ़ा है.

राजस्थान में बीजेपी से जनता का मोहभंग हुआ है और उसके वोट शेयर में 11 लाख 37 हजार से ज्यादा की गिरावट आई है. इसके पीछे सत्ता विरोधी लहर और ग्रामीण संकट अहम कारणों में से एक हैं. जबकि मध्य प्रदेश में बीजेपी के वोट प्रतिशत में 3 लाख 72 हजार की गिरावट आई है. आंकड़ें बताते है कि मध्य प्रदेश में बीजेपी को कांग्रेस से ज्यादा वोट मिले. लेकिन वह कांग्रेस से अधिक सीटें हासिल करने में नाकामयाब रही.

इन चुनावों में जनता ने नोटा बड़ी संख्या में दबाया है. मध्य प्रदेश में 5,42,295 और राजस्थान में 4,67,781 लोगों ने नोटा को चुना. एमपी में समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी को मिले वोटों से ज्यादा लोगों ने नोटा को चुना.

इन पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों को जीतने के लिए कांग्रेस ने क्षेत्रीय मुद्दों को तो उठाया ही पर इसके साथ ही मोदी सरकार की विफलताओं का भी जमकर प्रचार किया. 2014 लोकसभा चुनावों के दौरान मोदी सरकार ने जनता को अच्छे दिन का सपना तो दिखा दिया, लेकिन बीते चार साल में सरकार ग्रामीण संकट, भ्रष्टाचार और कई आधारभूत परेशानियों को दूर करने में असफल रही. इसके साथ ही नौकरियां न दे पाना, बीजेपी सरकार की हार में एक बड़ा कारण रहा.

‘द टेलीग्राफ’ में संजय के. झा लिखते हैं कि यह विधानसभा चुनाव परिणाम केवल राज्यों के सीएम के खिलाफ विरोध नहीं है, यह पूरी पार्टी से जनता के मोहभंग को दिखाता है.


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