अयोध्या भूमि विवाद: निर्मोही अखाड़े के पास कब्जा साबित करने के दस्तावेज नहीं


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सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में सुनवाई के दौरान निर्मोही अखाड़े से जानना चाहा कि विवादित स्थल पर अपना कब्जा साबित करने के लिए क्या उसके पास कोई राजस्व रिकार्ड और मौखिक साक्ष्य है.

जवाब में निर्मोही अखाड़ा ने कहा कि साल 1982 में हुई एक डकैती में उनके कागजात खो गए.

सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने मूल वादकारों में शामिल निर्मोही अखाड़े की ओर से बहस कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील जैन से कहा कि चूंकि वह इस समय कब्जे के बिन्दु पर हैं, इसलिए हिन्दू संस्था को अपना दावा ‘साबित’ करना होगा.

संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल हैं.

संविधान पीठ ने कहा, ‘‘अब, हम कब्जे के मुद्दे पर हैं. आपको अपना कब्जा साबित करना है. यदि आपके पास अपने पक्ष में कोई राजस्व रिकार्ड है तो यह आपके पक्ष में बहुत अच्छा साक्ष्य है.’’

निर्मोही अखाड़ा विभिन्न आधारों पर विवादित स्थल पर देखभाल करने और मालिकाना हक का दावा कर रहा है. अखाड़ा का कहना है कि यह स्थल प्राचीन काल से ही उसके कब्जे में है और उसकी हैसियत मूर्ति के ‘संरक्षक’ की है.

पीठ ने जैन से सवाल किया, ‘‘राजस्व रिकार्ड के अलावा आपके पास और क्या साक्ष्य है और कैसे आपने ‘अभिभावक ’ के अधिकार का इस्तेमाल किया.’’ जैन ने इस तथ्य को साबित करने का प्रयास किया कि इस स्थल का कब्जा वापस हासिल करने के लिये हिन्दू संस्था का वाद परिसीमा कानून के तहत वर्जित नहीं है.

जैन ने कहा, ‘‘यह वाद परिसीमा कानून, 1908 के अनुच्छेद 47 के अंतर्गत आता है. यह संपत्ति दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 145 के तहत मजिस्ट्रेट के कब्जे में थी. परिसीमा की अवधि मजिस्ट्रेट के अंतिम आदेश के बाद शुरू होती है. चूंकि मजिस्ट्रेट ने कोई अंतिम आदेश नहीं दिया है, इसलिए कार्रवाई की वजह जारी है, अत: परिसीमा द्वारा वर्जित होने का कोई सवाल नहीं उठता है.’’

उन्होंने कहा कि हमारा वाद तो मंदिर की देखभाल के लिये संरक्षक के अधिकार की बहाली का है और इसमें प्रबंधन और मालिकाना अधिकार भी शामिल है. उन्होंने कहा कि 1950 में जब कब्जा लिया गया तो अभिभावक का अधिकार प्रभावित हुआ और इस अधिकार को बहाल करने का अनुरोध कब्जा वापस दिलाने के दायरे में आयेगा.


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