पश्चिम बंगाल: बदलते राजनीतिक समीकरणों के बीच ज्योति बसु शोध संस्थान को सरकारी मंजूरी


bengal: government may give possession of plot for jyoti basu centre

 

पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री और सीपीएम नेता ज्योति बसु के नाम पर शोध संस्थान के निर्माण के लिए जमीन का आठ साल पुराना इंतजार खत्म होता लग रहा है. खबरों के मुताबिक राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसके लिए अपनी हामी भर दी है.

दरअसल इस उद्देश्य के लिए तब की वामपंथी सरकार के कार्यकाल के आखिरी महीने में पांच एकड़ की ये जमीन राजरहाट में खरीदी गई थी. और जनवरी 2011 में पार्टी को आवंटित कर दी गई थी.

पांच महीने बाद यानी कि मई 2011 में इसकी पूरी कीमत जो कि 4.15 करोड़ थी, चुकी दी गई. लेकिन इस बीच सरकार बदल गई जिससे पार्टी इस जमीन का कब्जा नहीं पा सकी.

राज्य में टीएमसी सरकार आने के बाद से लगातार आठ साल तक जमीन को लेकर यथास्थिति बनी रही. लेकिन अब राज्य में राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं. खासकर लोकसभा चुनाव के बाद. इस बीच जून के आखिरी हफ्ते में सीपीएम नेता सुजान चक्रवर्ती, आलोक भट्टाचार्य और राबिन देव मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिले थे.

देब ने हिंदू से बात करते हुए कहा, “मुख्यमंत्री जमीन के हस्तांतरण के लिए सहमत हो गईं थी. उन्होंने शहरी विकास मंत्री फरहद हाकिम से जल्दी से जल्दी जमीन हस्तांतरण सुनिश्चित करने को कहा था.”

राबिन देब सीपीएम की स्टेट कमिटी के सदस्य हैं. उन्होंने बताया कि इस जमीन पर पार्टी ज्योति बसु से संबंधित चीजों को दिखाने के लिए एक संग्रहालय बनाएगी. इसके अलावा इस पर एक सेमीनार हॉल भी बनेगा, जहां उनके विचारों पर वाद-विवाद हो सकेगा.

सीपीएम इसी तर्ज पर केरल में शोध संस्थानों का निर्माण कर चुकी है. केरल में ईएमएस नंबूदरीपाद और एके गोपालन जैसे वामपंथी नेताओं के नाम पर शोध संस्थानों का निर्माण हुआ है.

हिंदू, टीएमसी के एक नेता के हवाले से लिखता है कि 2014 में बीजेपी की सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सीपीएम से इस योजना की फिर से शुरुआत करने की बात कही थी, लेकिन तब इसका कोई अच्छा परिणाम नहीं निकला था.

अब एक बार फिर से केंद्र में बीजेपी आ चुकी है, तब फिर से इस योजना पर बात हुई, और इस बार बात बन गई.

हालांकि मुख्यमंत्री ने इस जमीन को आठ जुलाई तक हस्तांतरित करने की बात कही थी. लेकिन ये संभव नहीं हो पाया. देब ने बताया, “शहरी विकास मंत्री ने हमसे कहा कि जाहिर तौर पर इसे पहले कैबिनेट के सामने रखा जाएगा.”

मुख्यमंत्री का ये आश्वासन ऐसे समय आया है जब वो राज्य में उभरती बीजेपी को रोकने का हर संभव प्रयास कर रही हैं. इससे पहले वो लेफ्ट और कांग्रेस को एक साथ आने के लिए भी कह चुकी हैं.

जानकार इसे राज्य के दो प्रमुख दलों के बीच सालों से जमी बर्फ के टूटने की संभावना के तौर पर भी देख रहे हैं.

इससे पहले सीपीएम राजरहाट का नाम ज्योति बसु के नाम पर रखने की बात भी कह चुकी है.


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