देश भर में एनआरसी पर बीजेपी और केंद्र का रुख अलग


assam govt published new additional exclusion list on nrc

 

राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) पर बीजेपी के चुनावी वादों और केंद्र के रुख में साफ अंतर देख जा सकता है. एक ओर चुनावी रैलियों और मेनिफेस्टो में बीजेपी ने लोगों से वादा किया है कि अगर वो सत्ता में वापस आती है तो एनआरसी को देश भर में लागू करेगी. लेकिन वहीं इसी मुद्दे पर संसद और सुप्रीम कोर्ट में केंद्र का रुख बिल्कुल अलग रहा है.

द हिंदू की खबर के मुताबिक त्रिपुरा में एनआरसी लागू करने की मांग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट को सौंपे हलफनामे में केंद्र का ये रवैया साफ देखा जा सकता है. इस साल जनवरी में दाखिल हलफनामे में केंद्र ने कहा कि राज्य में एनआरसी लागू करने की जरूरत नहीं है क्योंकि गैर-कानूनी प्रवासियों की पहचान और उन्हें बाहर निकालने के लिए उचित कानून मौजूद हैं.

बीते साल 8 अक्टूबर को त्रिपुरा पीपुल्स फ्रंट और अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में याचिक दाखिल करते हुए मांग की थी कि असम की तरह त्रिपुरा में भी एनआरसी लागू किया जाए, ताकि बांग्लादेश से आने वाले गैर-कानूनी प्रवासियों की पहचान की जा सके और उन्हें बाहर निकाला जा सके. याचिका में सुप्रीम कोर्ट से संबंधित अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की गई थी कि 19 जुलाई, 1948 को एनआरसी में कट-ऑफ-डेट की तरह इस्तेमाल किया जाए.

जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर केंद्र और राज्य सरकारों को नोटिस जारी किया था. नोटिस के जवाब में केंद्र ने कहा था कि गैर-कानूनी प्रवासियों से निपटने के लिए राज्य में उचित कानून मौजूद हैं.

बीते साल 19 दिसंबर को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने लोकसभा को जानकारी देते हुए बताया, “फिलहाल असम के अलावा एनआरसी को अन्य राज्यों में लागू करने का कोई प्रस्ताव नहीं है.”

उन्होंने कहा, “असम में एनआरसी 1951 में सुधार और बदलाव नागरिकता अधिनियम, 1955 और नागरिकता नियमावली, 2003 के विशेष प्रावधान के तहत किया गया है. फिलहाल, असम के अलावा अन्य राज्यों में एनआरसी लागू करने का कोई प्रावधान नहीं है.”

जबकि लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान पार्टी का रुख पूरी तरह से अलग रहा. अमित शाह ने पश्चिम बंगाल में अपने चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत में ही लोगों से वादा किया कि वो राज्य में एनआरसी लागू करेंगे.

8 अप्रैल को जारी बीजेपी संकल्प पत्र में लिखा है कि पार्टी विभिन्न चरणों में देश भर में एनआरसी लागू करेगी.

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि गैर-कानूनी प्रवासियों की पहचान और उन्हें बाहर निकालने के लिए नागरिकता अधिनियम, विदेशी अधिनियम और पासपोर्ट अधिनियम जैसे का कानून मौजूद हैं.

उनके मुताबिक असम में एनआरसी लागू करना एक अलग फैसला था जो सुप्रीम कोर्ट की देख रेख में किया गया.

राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर का दूसरा मसौदा 30 जुलाई को प्रकाशित किया गया था जिसमें 3.29 करोड़ लोगों में से 2.89 करोड़ लोगों के नाम शामिल किए गए थे. इस मसौदे में 40,70,707 लोगों के नाम नहीं थे. नियमानुसार सूची में 25 मार्च 1971 के बाद बांगलादेश से भारत आए नागरिकों के नाम शामिल नहीं किए गए.


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