कम नहीं फैली हुई है बीजेपी के अंदर वंशवाद की बेल


BJP gets first success in municipal elections of West Bengal

 

मीडिया वेबसाइट ‘इंडिया स्पेंड’ के एक विश्लेषण के अनुसार भारतीय राजनीतिक परिदृश्य के पिछले दो दशकों में भारतीय जनता पार्टी उतनी ही वंशवादी रही है, जितनी की कांग्रेस और दूसरे क्षेत्रीय दल.

संस्था ने 1952 के बाद से अब तक 4,897 सांसदों के प्रोफाइल के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है. यहां इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि संस्था ने उन सांसदों को ही वंशवादी माना है, जिनके माता, पिता और पति-पत्नी सांसद के तौर पर उनके पूर्ववर्ती रहे हैं.

संस्था ने बताया है कि 1999 के बाद से अगर कांग्रेस के 36 ऐसे सांसद अगर लोकसभा के लिए चुने गए हैं तो बीजेपी के भी 31 सांसद चुने गए हैं.

1999 में शुरू हुई 13 वीं लोकसभा के दौरान कांग्रेस के आठ फीसदी सांसद या तो किसी पूर्ववर्ती सांसद से विवाहित थे या फिर सांसदी उन्हें किसी से विरासत में मिली थी. इसी लोकसभा में बीजेपी के भी छह फीसदी सांसद ऐसे ही थे.

वहीं 2009 में ऐसे सांसदों का प्रतिशत कांग्रेस के भीतर जहां 11 था, वहीं बीजेपी में इनका प्रतिशत 12 था. क्षेत्रीय दलों के वंशवाद पर अगर नजर डालें तो यह भी काफी व्यापक नजर आता है.

2009 में जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस के तीन सांसद चुने गए. इनमें से दो को सांसदी विरासत में मिली. इसी लोकसभा में राष्ट्रीय लोक दल के 40 फीसदी और शिरोमणि अकाली दल के 25 फीसदी सांसदों का संबंध वंशवाद से था.

बीजेपी के शीर्ष नेता लगातार कांग्रेस पर वंशवाद की राजनीति का आरोप लगाते रहे हैं. बीजेपी के नेती कहते आए हैं कि कांग्रेस ने वंशवाद की राजनीति के सहारे देश को लूटा है और इस लूट से केवल नेहरू-गांधी परिवार को फायदा पहुंचाया है.

इंडिया स्पेंड के विश्लेषक सिद्धार्थ जॉर्ज का कहना है कि बीजेपी अपने वंशवाद को मीडिया मैनेंजमेंट और आक्रामक प्रचार-प्रसार से छिपा लेती है, लेकिन गौर से देखने पर यह साफ नजर आता है.


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