मध्य प्रदेश डायरी: कृत्‍यों को देख पता लगता है बीजेपी का चाल, चरित्र और चेहरा


BJP's move, character and face have been changed

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सत्ता भ्रष्ट करती है अपार सत्ता बहुत बड़े पैमाने पर भ्रष्ट करती है. लार्ड एक्‍टन का यह कथन मध्य प्रदेश में बीजेपी नेताओं के कृत्‍यों को देखते हुए एकबार फिर सिद्ध होता दिखाई दे रहा है.

बीजेपी यहां गुजरे 15 सालों तक सत्‍ता में रही. इस दौरान पार्टी का वह चाल, चरित्र और चेहरा बदलता गया जिस पर उसके संस्‍थापक नेता नाज किया करते थे. बीजेपी के नेताओं ने अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए मर्यादा को ताक पर रखने में जरा देर नहीं की.

बीते दिनों पूरे देश में मध्य प्रदेश के बीजेपी विधायक आकाश विजयवर्गीय का सरकारी कर्मचारियों को बल्‍ले से मारना चर्चा में रहा तो अब भोपाल के पूर्व विधायक सुरेंद्र नाथ सिंह ने अतिक्रमण की तरफदारी करते हुए भीड़ में कहा कि अगर उनकी मांग नहीं मानी जाती है तो सड़क पर खून बहेगा और यह खून कमलनाथ का होगा.

पूर्व मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सहपाठी और अभिन्‍न मित्र रहे सुरेंद्र नाथ सिंह राजनीति के कच्‍चे खिलाड़ी नहीं हैं. वे अवैध गुमटियों का अतिक्रमण हटाने का विरोध कर अपना वोट बैंक साध रहे हैं मगर इससे पार्टी की छवि को नुकसान पहुंच रहा है. आकाश विजयवर्गीय के बाद सुरेंद्र नाथ सिंह को लेकर बीजेपी नेताओं को चुप्‍पी धारण करनी पड़ी. हालांकि, मीडिया में मामला उछलने के बाद बीजेपी प्रदेश अध्‍यक्ष ने नाराजगी जाहिर की और सिंह से जवाब तलब किया गया.

बीजेपी नेताओं के इस बर्ताव के बाद यह धारणा पुख्‍ता होती जा रही है कि अब यह वह पार्टी नहीं रही जिसे स्‍थापित करने के लिए कुशभाऊ ठाकरे, प्‍यारेलाल खंडेलवाल, विजयाराजे सिंधिया, सुंदरलाल पटवा, कैलाश जोशी, बाबूलाल गौर जैसे नेताओं ने परिश्रम किया था.

व्‍यापक हुआ हुआ उच्‍च शिक्षा विभाग का एजेंडा

मध्य प्रदेश में सरकार बदलने के बाद उच्‍च शिक्षा विभाग ने अपनी दृष्टि को व्‍यापक किया है. उच्च शिक्षा विभाग के व्यक्तित्व विकास प्रकोष्ठ ने अपना वार्षिक कैलेंडर जारी किया तो उसमें बीजेपी सरकार द्वारा शामिल किए गए अधिकांश बिन्दु गायब थे.

कॉलेजों में विद्यार्थियों को व्यक्तित्व विकास के लिए स्वतंत्रता आंदोलन, गांधी दर्शन, स्वामी विवेकानंद, मौलाना अबुल कलाम आजाद के कृतित्व व व्यक्तित्व, भारतीय सेना, अर्द्ध सैनिक बल, भारत के अंतरिक्ष और रक्षा जैसे मुद्दों को समझाया जाएगा.

इन विषयों पर व्‍याख्‍यान और अन्य शैक्षणिक गतिविधियां होंगी. इस पाठ्यक्रम से आदि शंकराचार्य, अटल बिहारी वाजपेयी, भारत की भारतीय अवधारणा पर केन्द्रित बिन्दु को हटा दिया गया है.

अलग-अलग माह में संविधान, भारतीय दर्शन, वसुधैव कुटुम्बकम्, बांग्लादेशी क्रांति, लोकतंत्र और सामाजिक चेतना, महिला सशक्तिकरण जैसे विषयों पर गतिविधियां होंगी. इसके पहले सत्र 2018-19 में प्रत्येक महाविद्यालय में भारत की भारतीय अवधारणा, अटल बिहारी वाजपेयी के व्यक्तित्व, आदि शंकराचार्य और अद्वैत सिद्धांत पर चर्चा व व्याख्यान आयोजित करवाए गए थे.

बीजेपी सरकार ने वर्ष 2015-16 में कॉलजों के विद्यार्थियों को आचार विचार की रीतियां सीखाने के साथ पंचामृत कार्यशाला, हमारी संस्कृति, उपनिषदों की पंचकोषीय अवधारणा, भौतिकता से अध्यात्म की ओर जाने की यात्रा, हमारे इतिहास पुरुष जैसे विषयों पर विशेषज्ञों के व्याख्यान करवाए थे. कॉलेजों में सत्र 2014-15 में मातृ देवो भव, पितृ देवोभव शीर्षक से पालकों के साथ संवाद, व्यक्तित्व विकास में सोलह संस्कार, भारतीय संस्कृति की विशेषताएं आदि पर कार्यक्रम हुए थे. इस तरह, कांग्रेस सरकार ने विषयों को अधिक व्‍यापक करते हुए विद्यार्थियों को अतीत समग्रता से समझाने का जतन किया.

विधानसभा अध्‍यक्ष ने बनाई अपनी अलग पहचान

मध्य प्रदेश विधानसभा के कार्यवाही में अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने अपने स्‍तर पर बहुतेरे बदलाव किए हैं. बीजेपी सरकार में अध्‍यक्ष रहे ईश्‍वरदास रोहाणी के बाद प्रजापति ऐसे अध्‍यक्ष हैं जो मंत्रियों की जवाबदेही तय कर रहे हैं.

वे हंगामा करते सत्‍ता पक्ष के विधायकों के साथ भी उतनी ही सख्‍ती से पेश आते हैं जितनी सख्‍ती से विपक्ष के विधायकों को चुप करवाते हैं. यदि विधायकों के सवाल पर यदि मंत्री का जवाब जरा ढुलमूल हुआ तो वे तुरंत हस्‍तक्षेप कर जांच करवाने के निर्देश देते साफ दिखाई दे रहे हैं. खेल विभाग के एक मामले में तो अध्‍यक्ष प्रजापति ने मंत्री जीतू पटवारी को ग्वालियर स्थित राज्य महिला हॉकी अकादमी में गड़बड़ियों की जांच के आदेश देते हुए कहा कि इस संबंध में उनके पास भी कुछ तथ्य हैं.

अध्यक्ष के ऐसे आदेशों का सदन में सदस्य मेजें थपथपा कर स्‍वागत करते हैं.


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