सुबोध सिंह हत्याकांड : पुलिस की भूमिका पर सवाल
कथित तौर पर गोकशी को लेकर हुए बुलंदशहर हिंसा में मारे गए इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की बहन ने पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़ा किए हैं.
उन्होंने कहा है कि उनके भाई सुबोध कुमार सिंह इसलिए मार दिए गए हैं क्योंकि वो अखलाक़ हत्या कांड मामले की जांच कर रहे थे. यह पुलिस के द्वारा रची गई साजिश है.
उन्होंने अपने भाई को शहीद का दर्जा दिए जाने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि हमें पैसा नहीं चाहिए बल्कि वो चाहती हैं कि उनके भाई को शहीद का दर्जा दिया जाना चाहिए और उनकी याद में स्मारक बनवाया जाना चाहिए.
इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह 28 सितंबर 2015 को मॉब लिंचिंग के शिकार हुए मोहम्मद अखलाक़ की हत्या की जांच कर रहे थे. इस सिलसिले में उन्होंने कई आरोपियों को गिरफ्तार भी किया था. लेकिन जांच के बीच में ही उनका तबादला वाराणसी कर दिया गया था.
इससे पहले मेरठ ज़ोन के एडीजी प्रशांत कुमार ने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई को बताया था कि हिंसा की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है. जांच में यह पता लगाया जाएगा कि हिंसा क्यों हुई और क्यों पुलिस अधिकारी इंस्पेक्टर सुबोध कुमार को अकेला छोड़कर भाग गए.
तीन दिसम्बर को बुलंदशहर में कथित तौर पर गोकशी के बाद मचे बवाल में गुस्साई भीड़ ने स्याना थाने के इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या कर दी थी. वहीं गोली लगने से एक युवक की मौत भी हो गई थी.
बुलंदशहर में हुई इस हिंसक वारदात में पांच पुलिस कर्मी और करीब आधा दर्जन आम लोगों को भी मामूली चोटें आई हैं. भीड़ की हिंसा में कई गाड़ियों को भी नुकसान पहुंचाया गया है और तीन कारों को आग लगा दी गई. बताया जा रहा है कि इस हिंसा में तीन गांव के करीब चार सौ लोग शामिल थे.
एडीजी के मुताबिक कथित गोकशी की घटना के बाद एफआईआर लिख ली गयी थी लेकिन भीड़ ने सड़क पर जाम लगा दिया था. इसी जाम को हटाने के दौरान भीड़ उग्र हो गई और दोपहर 12 से डेढ़ बजे के बीच पथराव और हिंसा हुई.