डिजिटल न्यूज मीडिया पर बढ़ा संकट
अखबार और टीवी न्यूज इंडस्ट्री में लोगों की नौकरियां जाने का दौर चल रहा है, जिसमें अब डिजिटल मीडिया भी शामिल होता जा रहा है. इसका ताजा उदाहरण है, बजफीड और हफपोस्ट.
साल के पहले ही महीने में अमेरिका की दो प्रमुख ऑनलाइन न्यूज वेबसाइट बजफीड और हफ्फिंगटन पोस्ट (हफ्फपोस्ट) ने बड़ी संख्या में अपने कर्मचारियों की छंटनी की है.
बीते 14 महीने में ये दूसरी बार है जब बजफीड के कर्माचारी छंटनी का शिकार हुए हैं. कंपनी में करीब 1,700 लोगों की टीम में से 100 लोगों को नौकरी से निकाल दिया गया है. जबकि हफ्फपोस्ट की संपादकीय टीम से 10 फीसदी लोगों ने इस्तीफा दे दिया. यहां वेबसाइट से कुल 20 लोगों को निकाला गया है.
एक समय में बजफीड को अपने लिस्टिकल आर्टिकल्स और सीरीयस न्यूज के साथ-साथ क्विज के चलते अच्छी पहचान मिली थी.
वेरिजोन मीडिया, हफ्फपोस्ट की पैरेंट कंपनी है. जिसके स्वामित्व में एओएल, याहू और वेरिजोन मीडिया सर्विसेज जैसे डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म आते हैं. फिलहाल, कंपनी अपने सभी प्लेटफॉर्म में छंटनी कर रही है.
छंटनी के पीछे वेबसाइट मालिकों की ओर से अब तक कोई ठोस वजह सामने नहीं आई है. लेकिन जानकारों के मुताबिक इसकी वजह बिलकुल साफ है.
उनके मुताबिक इन वेबसाइट का रेवेन्यू मॉडल असफल रहा है और साल दर साल कंपनी के मालिक वेबासाइट के सहारे अपना प्रॉफिट बढ़ाने में नाकामयाब रहे हैं.
रेवेन्यू मॉडल बदलने की जरूरत
आज डिजिटल ऑडियंस का एक बहुत बड़ा हिस्सा गूगल और फेसबुक का इस्तेमाल कर रहा है. आंकड़ें बताते हैं कि सर्च इंजन गूगल और सोशल मीडिया प्रमुख फेसबुक का मार्केट के 57.7 फीसदी विज्ञापन रेवेन्यू पर कब्जा है.
एक जानकार ने बताया कि कंपनी पहले ऑडियंस पर टारगेट करती है फिर उनके सहारे विज्ञापन जुटाने की कोशिश करती है. पर जब वो ऐसा करने में नाकाम रहते हैं तब उनके लिए चीजों को संभाल पाना थोड़ा मुश्किल होता है.
ऐसे में इस बात के साफ संकेत मिल रहे हैं कि फ्री या एड बेस्ड मॉडल पर खड़े डिजटल मीडिया प्लेटफॉर्मस के लिए ये संकट का दौरा है.
बजफीड के सह संस्थापक और सीईओ जोना परेटी के मुताबिक इस क्षेत्र में काम करने वाली दो प्रमुख कंपनियां एक साथ आकर काम करें तो इस संकट का समाधान संभव है. जॉन हफ्फपोस्ट के भी सह संस्थापक हैं.
उनके मुताबिक इंटरनेट के बड़े खिलाड़ी वाइस, वॉक्स, रिफाइनरी 29 और ग्रुप नाइन साथ आकर काम करें तो इस संकट का सामना किया जा सकता है.
नवबंर से अपने एक्सक्लूसिव कंटेंट और न्यूजलेटर के लिए बजफीड पाठकों से $5 मासिक सब्सक्रिप्शन ले रहा है. हालांकि वेबसाइट पाठक अभी भी मुफ्त में पढ़ सकते हैं. आने वाले समय में उम्मीद जताई जा रही है कि हफ्फपोस्ट और बजफीड वेबसाइट पाठकों के लिए मुफ्त नहीं रहेंगी.
न्यूजपेपर और टीवी चैनल जैसे परंपरागत मीडिया संस्थान पहले से डिजिटल मीडिया आने के कारण मुश्किलों का सामना कर रहे थे. इसकी बड़ी वजह उनको मिलने वाले विज्ञापनों का डिजिटल मीडिया के हिस्से में चला जाना रहा है. हालांकि पिछले कुछ समय से डिजिटल कंपनियों को भी इसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है.
बजफीड के अलावा वाइस ने भी नई हायरिंग पर रोक लगा रखी है. इसके अलावा कंपनी इस साल अपनी वर्कफोर्स में 10-15 फीसदी की कटौती करेगी. वहीं हफपोस्ट, एओएल और याहू के स्वामित्व वाली कंपनी वेरिजोन मीडिया ग्रुप भी अपने 7 प्रतिशत कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाएगी.
विशेषज्ञ मान रहे हैं कि न्यूज इंडस्ट्री इस समय मुश्किलों से जूझ रहे है और इसे अपने आप को बचाए रखने के लिए नया बिजनेस मॉडल देखना होगा.