राफेल डील में बैंक गारंटी खत्म करने पर CAG ने उठाए सवाल


CAG questions raising bank guarantee in Rafael Deal

 

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने राफेल डील की शर्तों में बदलाव पर सवाल उठाए हैं. सीएजी ने भारत सरकार द्वारा फ्रांस के साथ किए गए करार में सरकारी गारंटी की जगह आश्वासन पत्र से काम चलाने पर चिंता जताई है.

संसद में तीन मार्च को सीएजी की पेश रिपोर्ट में राफेल सौदे के कमजोर पहलुओं के बारे में बताया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि फ्रांस सरकार द्वारा विमान की आपूर्ति के बारे में सरकारी गारंटी देने के बजाय आश्वासन पत्र को सौदे का आधार बताया गया है.

रिपोर्ट के अनुसार 2007 में तत्कालीन यूपीए सरकार के प्रस्तावित करार में अग्रिम भुगतान के एवज में 15 प्रतिशत ‘बैक गारंटी’ का प्रावधान था.

मौजूदा सरकार की ओर से किए गए सौदे के तहत गारंटी संबंधी प्रावधानों पर चिंता व्यक्त करते हुए सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि करार के भंग होने की स्थिति में भारत को पहले पंचाट के जरिए सीधे तौर पर विमान के फ्रांसीसी आपूर्तिकर्ताओं के साथ मामले को सुलझाना पड़ेगा.

पंचाट की ओर से भारत के पक्ष में फैसला सुनाने पर और राफेल विमान बनाने वाली कंपनी दसॉल्ट एविएशन द्वारा इस फैसले का पालन नहीं कर पाने पर ही भारत अपने विधिक अधिकारों के इस्तेमाल का दावा कर सकेगा.

भारत ने फ्रांस के साथ पहली बार अंतर सरकारी समझौता कर 36 राफेल लड़ाकू विमान की खरीद का सौदा किया है. इसके पहले भारत इसी तरह का अंतर सरकारी समझौता अमेरिका, ब्रिटेन और रूस के साथ कर चुका है.


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