कनाडा: सत्ता के करीब पहुंचे प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो


Canadian Prime Minister Justin Trudeau managed to save power

 

भारतीय मूल के कनाडाई नागरिक जगमीत सिंह के नेतृत्व वाली न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) इस बार हुए आम चुनावों में ”किंगमेकर” की भूमिका में उभरी है क्योंकि प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो की लिबरल पार्टी को रोमांचक चुनावी मुकाबले में बहुमत नहीं मिला है. हालांकि सबसे अधिक सीटें जीतने के साथ ही वह सत्ता के दावेदार बने हुए हैं.

हाल ही में संपन्न कनाडाई आम चुनाव में एनडीपी को 24 सीटें मिली. लिबरल पार्टी को 157 सीटें, विपक्षी कंजर्वेटिव को 121, ब्लॉक क्यूबेकोइस को 32, ग्रीन पार्टी को तीन और निर्दलीय को एक सीट मिली.

ट्रुडो को 338 सदस्यीय हाउस ऑफ कॉमन्स में लिबरल पार्टी के नेतृत्व वाली अल्पमत सरकार बनाने के लिए 170 के ‘जादुई आंकड़े’ पर पहुंचने के लिए वामपंथी झुकाव वाली विपक्षी पार्टियों से कम से कम 13 सांसदों के समर्थन की जरूरत पड़ेगी.

टोरंटो स्टार समाचार पत्र ने कहा, ”न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी संसद में किंगमेकर की भूमिका निभाने के लिए तैयार है. जगमीत सिंह पहले के अपने रुख से पलटते हुए चुनाव में अपना अस्तित्व बचाने में कामयाब रहे. हालांकि 2015 के मुकाबले इस बार वे केवल 50 फीसदी सीटें ही बचा पाए.”

कनाडियन ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन की खबर के मुताबिक, खुद प्रधानमंत्री पद के दावेदार रहे सिंह (40) ने कहा कि वह चाहते हैं कि एनडीपी नयी संसद में ”रचनात्मक” भूमिका निभाए.

कनाडा में संघीय राजनीतिक दल के पहले अश्वेत नेता ने 47 वर्षीय ट्रुडो की जीत पर उन्हें बधाई दी और कहा कि उन्होंने उनसे बात की है.

ग्रीन पार्टी ने पहले ही विपक्ष में बैठने के संकेत दिए हैं. वहीं ब्लॉक क्यूबेकोइस नेता येव्स फ्रांकोइस ब्लैंचेट ने भी सरकार में शामिल होने की अनिच्छा जतायी है. ऐसे में सभी की निगाहें एनडीपी पर टिकी हैं.

अपने पहले कार्यकाल के चार वर्ष में ट्रूडो कनाडाई राजनीति में छाए रहे लेकिन 40 दिवसीय चुनाव प्रचार मुहिम में उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा.

ट्रूडो (47) ने अपने उदारवादी पिता एवं दिवंगत प्रधानमंत्री पियर ट्रूडो की अपार लोकप्रियता को आगे बढ़ाते हुए 2015 का चुनाव जीता था, लेकिन घोटाले और लोगों की भारी उम्मीदों ने उनकी जीत की संभावनाओं को नुकसान पहुंचाया है.

ट्रुडो ने कनाडा में करीब 10 साल तक चले कंजर्वेटिव पार्टी के शासन के बाद 2015 में उदारवादी सरकार बनाई थी और वह दुनिया के चुनिंदा उदारवादी नेताओं में एक हैं.


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