CBI बनाम CBI: अदालत ने भ्रष्टाचार मामले में एजेंसी की जांच पर नाखुशी जताई


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दिल्ली की एक अदालत ने सीबीआई के पूर्व विशेष निदेशक राकेश अस्थाना की संलिप्तता वाले कथित भ्रष्टाचार मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी की पड़ताल पर नाशुखी जताई और जानना चाहा कि मामले में बड़ी भूमिका वाले आरोपी आजादी से क्यों घूम रहे हैं, जबकि सीबीआई ने अपने ही डीएसपी को गिरफ्तार किया है.

अस्थाना और डीएसपी देवेन्द्र कुमार को 2018 में गिरफ्तार किया गया था और बाद में उन्हें जमानत दे दी गई थी. दोनों को मामले में आरोपी बनाने के पर्याप्त सुबूत नहीं होने के कारण इनके नाम आरोपपत्र के कॉलम 12 में लिखे गए थे.

सीबीआई ने हैदराबाद के कारोबारी सतीश सना की शिकायत के आधार पर अस्थाना के खिलाफ मामला दर्ज किया था. मीट कारोबारी मोइन कुरैशी के खिलाफ 2017 के मामले में सना पर भी जांच चल रही है.

केंद्रीय जांच एजेंसी के विशेष न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने पूछा, ”मामले में जिन आरोपियों की बड़ी भूमिका प्रतीत होती है, वे आजाद क्यों घूम रहे हैं, जबकि सीबीआई ने अपने डीएसपी को गिरफ्तार किया है.”

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 19 फरवरी को तय की है.

एजेंसी ने इस मामले के संबंध 11 फरवरी में दुबई स्थित कारोबारी और कथित बिचौलिए मनोज प्रसाद के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था.

आरोप पत्र में अस्थाना को क्लीनचिट दी गई है. एजेंसी ने रॉ प्रमुख एस के गोयल को भी क्लीनचिट दी है.

2018 में गिरफ्तार किए गए सीबीआई के डीएसपी देवेंद्र कुमार को भी क्लीनचिट दी गई है. उन्हें बाद में जमानत मिल गई थी.

प्रसाद को 17 अक्टूबर 2018 में गिरफ्तार किया गया था और उन्हें उसी साल 18 दिसंबर को जमानत मिल गई.

आरोप पत्र में कहा गया है कि इस मामले में अभी भी जांच जारी है और एजेंसी एक अनुपूरक रिपोर्ट दायर कर सकती है.

इससे पहले सीबीआई 60 दिनों की अनिवार्य समयसीमा के भीतर दिसंबर 2018 तक आरोप पत्र दाखिल नहीं कर सकी थी, जिसके चलते दिल्ली की अदालत ने प्रसाद को जमानत दे दी.

निचली अदालत ने 31 अक्टूबर को कुमार को जमानत दे दी, जिन्हें 23 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था. एजेंसी ने उनके आवेदन को चुनौती नहीं देने का फैसला किया था.

सीबीआई ने हैदराबाद स्थित कारोबारी सतीश सना की शिकायत पर अस्थाना को गिरफ्तार किया था. सना ने आरोप लगाया था कि मांस निर्यातक मोइन कुरैशी से जुड़े एक मामले में राहत पाने अस्थाना ने उसकी मदद की थी.

एजेंसी ने इस मामले में प्रसाद को दुबई से आने पर गिरफ्तार किया. सना ने आरोप लगाया था कि प्रसाद और उसके भाई सोमेश ने उसे बरी कराने की एवज में दो करोड़ रुपये लिए थे.


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