मध्य प्रदेश डायरी: केन्‍द्र ने मध्‍य प्रदेश के बजट में की कटौती


center cuts the budget of madhya pradesh

 

केन्‍द्र और राज्‍य में अलग-अलग पार्टी की सरकार होने पर आपसी खींचतान पहले भी होती रही है मगर केन्‍द्र की मोदी सरकार राज्‍य सरकार की सहायता करने की जगह उसके सामने आर्थिक संकट खड़े कर रही है. मोदी सरकार ने विभिन्‍न योजनाओं में मध्‍य प्रदेश के रोके हुए पैसे तो जारी नहीं किए बल्कि बजट में केन्‍द्रीय करों से मिलने वाले राज्य के हिस्से में 2 हजार 677 करोड़ रुपए की कटौती कर दी है. इससे मध्‍य प्रदेश सरकार का आय-व्यय का अनुमान ही गड़बड़ा गया है.

वर्तमान मुख्‍यमंत्री कमलनाथ जब केन्‍द्र में मंत्री हुआ करते थे तब उनकी तथा प्रदेश के अन्‍य नेताओं की पहल पर यूपीए सरकार ने मध्‍य प्रदेश की बीजेपी सरकार को मुंह मांगी राशि प्रदान की है. अब मध्‍य प्रदेश के कांग्रेस नेता इस बात से हैरान हैं कि जिस कांग्रेस ने केन्‍द्र में रहते हुए प्रदेश में बीजेपी सरकार की दिल खोल कर सहायता की. वहीं बीजेपी उलट स्थिति में प्रदेश सरकार की मांग को अनसुना कर रही है. कांग्रेस नेता इसे संघ शासन की परंपरा के विपरित मान रहे हैं जब राज्‍य सरकारों को आर्थिक रूप से संकट में डाल कर उसके खिलाफ माहौल बनाया जाता है. ऐसे में मप्र में आय बढ़ाने और खर्च को नियंत्रित करने की अन्‍य राहें तलाशी जा रही हैं ताकि विधानसभा चुनाव के पहले जारी किए गए वचन पत्र की घोषणाओं को पूरा किया जा सके.

जाति की राजनीति में कांग्रेस सरकार का संतुलन पैंतरा

मध्‍य प्रदेश में बीजेपी ने ओबीसी-आदिवासी को साथ लेकर कांग्रेस पर राजनीतिक लीड हासिल की थी. सवर्ण समाज में बेहतर आधार रखने वाली बीजेपी ने यही समीकरण साध कर बीते 15 सालों तक सत्‍ता अपने हाथ में रखी थी. कांग्रेस ने इस जातीय समीकरण को विफल करने के लिए एक बड़ा फैसला लोकसभा चुनाव के पहले लिया था. यह फैसला था राज्य में ओबीसी आरक्षण को 27 प्रतिशत करना. असल में यह केन्‍द्र की मोदी सरकार के सवर्ण गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण देने की घोषण की प्रतिक्रिया में की गई घोषणा थी. चुनाव के दौरान न्‍यायालयीन प्रक्रिया में यह घोषणा रुकी भी मगर अब मुख्यमंत्री कमलनाथ की अध्‍यक्षता में कैबिनेट ने अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण को 14 फीसदी से बढ़ाकर 27 फीसदी करने का निर्णय ले लिया है. 8 जुलाई से आरंभ हो रहे विधानसभा सत्र में इसे विधेयक ला कर पारित कर दिया जाएगा.

कांग्रेस सरकार सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्ग के लिए राज्य सरकार सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण का प्रावधान भी लागू कर रही है. बीजेपी कहती रही है कि बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया के आरक्षण के विषय को आगे बढ़ाना नामुमकिन है. मगर अब कांग्रेस इसे कानून का रूप देने जा रही है तो कांग्रेस सरकार के इस पैंतरे का फिलहाल बीजेपी के पास कोई जवाब नहीं है.

अर्जुन सिंह की योजना करेगी जनता से कनेक्‍ट

केन्‍द्र की मोदी सरकार द्वारा बजट कटौती करने, अन्‍य रुका पैसा जारी न करने, कर वृद्धि के कारण पेट्रोलियम पदार्थों के दामों में वृद्धि करने जैसे तमाम कारणों को जनता तक पहुंचाने और समस्‍याओं को मौके पर दूर करने के लिए प्रदेश की नाथ सरकार 35 साल पुरानी ‘आपकी सरकार-आपके द्वार’ योजना को लागू कर रही है. यह योजना मुख्‍यमंत्री रहते कांग्रेस नेता अर्जुन सिंह ने लागू की थी. इस योजना के तहत जनता की समस्या व शिकायतों का समाधान करने विकासखंड मुख्यालय में और ऐसे हाट बाजार के दौरान किसी गांव में शिविर लगाए जाएंगे. गांव का नाम गोपनीय रखा जाएगा. इन शिविरों में कलेक्टर और विभागों के जिला अधिकारी एक ही वाहन से पहुंचेंगे और समस्याओं का निराकरण करेंगे. शिविर में आने वाली समस्याओं का तत्काल निराकरण करना अनिवार्य किया गया है, चाहे शिविर देर रात तक लगाना पड़े. साथ ही जो समस्याएं तत्काल नहीं सुलझाई जा सकतीं, उनके लिए समयसीमा तय करना होगी.

प्रभारी मंत्री, जिले के मंत्री और विधायकों का माह में कम से कम दो शिविरों में शामिल होना अनिवार्य किया गया है. नगरीय निकाय चुनाव के पहले जनता से कनेक्‍ट का यह तरीका बीजेपी संगठन के विभिन्‍न कार्यक्रमों का सरकार के स्‍तर पर जवाब है.


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